दरगाह या मंदिर? हिंदू पक्ष ने मांगा सर्वे, मुस्लिम संगठन ने किया विरोध, क्या 800 साल पुराना इतिहास फिर से लिखा जाएगा?
Ajmer Sharif : हिंदू पक्ष ने दावा किया है कि दरगाह की जगह पर पहले संकट मोचन महादेव का मंदिर था, जिसे करीब 800 साल पहले तोड़कर दरगाह बनाई गई। इस दावे के साथ हिंदू पक्ष ने........
Ajmer Sharif : उत्तर प्रदेश के संभल में मस्जिद के सर्वे को लेकर हुए विवाद के बाद अब राजस्थान के अजमेर में ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह को लेकर घमासान शुरू हो गया है। हिंदू पक्ष ने दावा किया है कि दरगाह की जगह पर पहले संकट मोचन महादेव का मंदिर था, जिसे करीब 800 साल पहले तोड़कर दरगाह बनाई गई। इस दावे के साथ हिंदू पक्ष ने अदालत में याचिका दाखिल कर दरगाह के सर्वे और पूजा-अर्चना की अनुमति की मांग की है।
कोर्ट ने हिंदू पक्ष की याचिका स्वीकार
अजमेर कोर्ट ने हिंदू पक्ष की याचिका स्वीकार करते हुए इसे सुनवाई योग्य माना है और अल्पसंख्यक मंत्रालय, दरगाह कमेटी, और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को नोटिस जारी किया है। याचिका में हर विलास शारदा की एक पुस्तक का हवाला दिया गया है, जिसमें दावा किया गया है कि दरगाह क्षेत्र में एक प्राचीन मंदिर था और वहां एक कुंड अब भी मौजूद है। मामले की अगली सुनवाई 20 दिसंबर को होगी।
मुस्लिम संगठनों ने इस याचिका का विरोध किया है। अंजुमन कमेटी के सचिव सरवर चिश्ती ने कहा कि दरगाह सद्भावना का प्रतीक है और इस तरह के दावे देशहित के खिलाफ हैं। उन्होंने प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट का जिक्र करते हुए कहा कि इस पर किसी भी तरह की कार्रवाई से देश की एकता और सौहार्द्र को खतरा हो सकता है।
वहीं, दरगाह के दीवान सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती ने इन दावों को खारिज करते हुए कहा कि दरगाह यहां 850 सालों से है और कुछ लोग लोकप्रियता हासिल करने के लिए ऐसे विवाद खड़ा कर रहे हैं। इस विवाद ने धार्मिक और सांप्रदायिक सौहार्द्र को लेकर नई बहस छेड़ दी है, जिसमें दोनों पक्ष अपनी-अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं।