Devuthani Ekadashi : देवउठनी एकादशी की पूजा के दौरान भूल से भी न करें ये गलती, वरना हो सकता है कुछ अशुभ!
Devuthani Ekadashi का व्रत भगवान विष्णु को प्रसन्न करने का खास अवसर होता है। इस दिन अगर पूरी श्रद्धा और विधिपूर्वक पूजा की जाए तो भगवान विष्णु का आशीर्वाद मिलता है। लेकिन पूजा में इन छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखना आवश्यक है। इन गलतियों से बचकर पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है और जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है।
Devuthani Ekadashi : हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी का व्रत और पूजा की जाती है। इस दिन भगवान विष्णु चार महीने की योग निद्रा से जागते हैं और इस शुभ अवसर को देवोत्थान एकादशी या प्रबोधिनी एकादशी भी कहते हैं। इस दिन से ही चातुर्मास समाप्त होता है और शादी-विवाह समेत अन्य मांगलिक कार्यों की शुरुआत होती है। मान्यता है कि इस दिन की गई पूजा से सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। लेकिन पूजा के दौरान कुछ खास बातों का ध्यान रखना आवश्यक होता है, क्योंकि कुछ गलतियां अशुभ प्रभाव डाल सकती हैं। आइए जानते हैं देवउठनी एकादशी पर किन बातों का ध्यान रखना चाहिए और कौन सी गलतियां भूलकर भी नहीं करनी चाहिए।
स्नान के बिना पूजा न करें
देवउठनी एकादशी की पूजा से पहले स्नान अवश्य कर लें। बिना स्नान किए पूजा करना अनुचित माना जाता है। इस दिन पवित्रता का विशेष ध्यान रखना चाहिए, तभी पूजा का संपूर्ण लाभ प्राप्त हो सकता है।
एकादशी के दिन भूलकर भी न खाएं चावल
एकादशी व्रत के दिन चावल का सेवन वर्जित होता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन चावल खाने से अगले जन्म में विषम परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। साथ ही यह पूजा की पवित्रता को भी भंग करता है।
तामसिक चीजों का त्याग करें
इस पवित्र दिन पर तामसिक भोजन और अन्य नकारात्मक चीजों से दूर रहें। जैसे कि लहसुन, प्याज, मांसाहार, शराब आदि का सेवन वर्जित है। इस दिन केवल सात्विक भोजन ग्रहण करें और घर में पवित्रता का माहौल बनाए रखें।
भगवान विष्णु की पूजा में तुलसी जरूर चढ़ाएं
देवउठनी एकादशी की पूजा में तुलसी के पत्तों का विशेष महत्व होता है। बिना तुलसी के पत्ते चढ़ाए भगवान विष्णु की पूजा अधूरी मानी जाती है। ध्यान रखें कि पूजा से पहले तुलसी के पत्ते तोड़ लें, क्योंकि सूर्यास्त के बाद तुलसी के पत्ते तोड़ना अशुभ माना जाता है।
रात्रि जागरण न करें तो होगा दोष
इस दिन रात्रि में जागरण करना लाभकारी माना गया है। अगर आप रात भर नहीं जाग सकते हैं, तो कम से कम कुछ समय विष्णु भगवान के भजन और ध्यान में बिताएं। इससे भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
द्वादशी तिथि पर समय पर करें पारण
एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि को ही किया जाता है। यह ध्यान रखें कि द्वादशी तिथि समाप्त होने से पहले पारण करें। पारण का समय न चूकें, क्योंकि इस समय पर व्रत खोलना जरूरी होता है। इससे व्रत का संपूर्ण फल प्राप्त होता है।
तुलसी विवाह में गलती से भी न करें कोई कमी
देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु का विवाह तुलसी के साथ होता है। इसे तुलसी विवाह कहा जाता है। इस विवाह में पूरी श्रद्धा के साथ पूजा करें और भूलकर भी किसी प्रकार की लापरवाही न करें, नहीं तो इसका अशुभ प्रभाव पड़ सकता है।
व्रत का उल्लंघन करने से बचें
एकादशी व्रत का उल्लंघन कभी नहीं करना चाहिए। इस दिन व्रत के नियमों का सख्ती से पालन करें और एकादशी का व्रत पूरे नियम और निष्ठा के साथ करें। इसका पालन न करने से पुण्य का ह्रास हो सकता है।
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं पर आधारित है.JournalistIndia इन मान्यताओं की पुष्टि नहीं करता है. यहां पर दी गई किसी भी प्रकार की जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह अवश्य ले लें.