“जो होगा पास, वही बनेगा थाना इंचार्ज” – बागपत पुलिस की नयी पहल से बढ़ी पारदर्शिता और जवाबदेही

UP Baghpat police  : बागपत, उत्तर प्रदेश — उत्तर प्रदेश पुलिस का बागपत जिला एक अनोखे और प्रशंसनीय प्रयोग की वजह से दिनों चर्चा में है। पहली बार ऐसा हुआ है कि किसी जिले में थानेदार (थाना इंचार्ज) की नियुक्ति अब सिर्फ वरिष्ठता या सिफारिश के आधार पर नहीं, बल्कि “काबिलियत के टेस्ट” से होकर गुजर रही है। बागपत पुलिस ने एक नई व्यवस्था लागू की है: “जो होगा पास, वही बनेगा थाना इंचार्ज।”

आखिर परिक्षा कराने की क्या रही वजह.

बागपत के पुलिस अधीक्षक सूरज राय ने एक अनूठा प्रयोग किया है। जिसकी चौतरफा तारीफ हो रही है. पुलिस अधीक्षक सूरज राय ने थाना इंचार्ज और चौकी इंचार्ज बनने के लिए एक परीक्षा का आयोजन करवाया। कहा गया कि जो भी पुलिस कैंडिडेट इस परीक्षा में पास होगा उसे ही थानाधिकारी बनाया जाएगा। इसके साथ ही परीक्षा में मिले अंकों रैंक के आधार पर बाकी पदों पर भी पदोन्नति होगी. इस परिक्षा का उद्देश्य भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 के प्रावधानों के साथ साइबर अपराध से संबंधित प्रश्न पूछे गए। जिससे ये पता लगाया जा सके कि परिक्षार्थी पुलिस अधिकारी के अंदर थाना चलाने, केस की विवेचना करने औऱ थाने के साथ जनता के की बीच गैप को भरने के लिए कैंडिडेट की सकक्षमता जाची जा सके. कहा जा रहा है कि कुछ प्रश्न इस तरह के पूछे गए थे जिसमें जिनको पढ़कर इंस्पेक्टर और दरोगाओं रैंक के परिक्षार्थियों का माथा चकरा गया। परिक्षा को खुद अधीक्षक सूरज राय मॉनिटर कर रहे थे. परीक्षा के दौरान निरीक्षण करने के लिए भी तैनात की गई थी जिससे परिक्षा में सख्ती बरती गई.

ऐसी नई व्यवस्था की क्यों पड़ी जरूरत?

बागपत पुलिस अधीक्षक (एसपी) की अगुवाई में विभाग ने तय किया है कि किसी भी पुलिस अधिकारी को थाना प्रभारी बनाने से पहले अब उसे एक लिखित परीक्षा और इंटरव्यू से गुजरना होगा। इस परीक्षा में कानून की जानकारी, लोक-प्रशासन, विवेचना की क्षमता, साइबर क्राइम की समझ और नेतृत्व कौशल की जांच की जाएगी।

इस पूरी प्रक्रिया को पूर्णतः गोपनीय और निष्पक्ष रखा गया है। अधिकारियों को परीक्षा के विषयों की पूर्व जानकारी दी गई, और फिर परीक्षा ली ली गई। ताकि इसमें माक्स के आधार पर सफल होने वाले अधिकारियों को ही थाना प्रभार सौंपा जा सके ।

क्यों जरूरी थी ये पहल?

उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में पुलिस पर जन विश्वास बनाए रखना एक बड़ी चुनौती है। अक्सर थाना इंचार्ज की नियुक्ति पर राजनीतिक हस्तक्षेप या अंदरूनी सिफारिशों की चर्चा होती रही है। इससे न केवल पुलिस की साख को नुकसान होता है, बल्कि योग्य अधिकारियों को भी अवसर नहीं मिल पाता।

बागपत में इस व्यवस्था का मुख्य उद्देश्य है:

  • पारदर्शिता लाना
  • योग्यता आधारित नेतृत्व तैयार करना
  • जनता के प्रति जवाबदेही बढ़ाना
  • भ्रष्टाचार और पक्षपात को रोकना

इस नई प्रणाली के लागू होने के बाद कई सकारात्मक बदलाव देखने को मिले हैं:

  1. इस परिक्षा के बाद अब पूरे पुलिस महकमें में चर्चा – अब हर पुलिस अधिकारी खुद को अपडेट रख रहा है, जिससे विभाग की कार्यकुशलता भी बढ़ रही है।
  2. थाने में जवाबदेही बढ़ी है – उम्मीद है कि जिन अधिकारियों ने मेहनत से यह पद पाया है, वे जिम्मेदारी से काम करेंगे।
  3. जनता का भरोसा बढ़ा है – पारदर्शिता से लोग भी अब थाने में अधिक विश्वास के साथ अपनी समस्याएं लेकर जा रहे हैं।

क्या कह रहे हैं अधिकारी और आम लोग?

एसपी बागपत का कहना है,

“हम चाहते हैं कि थाना इंचार्ज वो बने जो वास्तव में उस पद के लायक हो। ये टेस्ट उसी दिशा में एक छोटा लेकिन मजबूत कदम है।”

वहीं, एक सोशल मीडिया पर लोगों की प्रतिक्रिया की बात करें तो,

“अब लग रहा है कि थानों में सही लोग बैठे हैं। पहले तो लगता था कि कोई भी ऊपर से आ जाता है।”

क्या यह मॉडल पूरे प्रदेश में लागू हो सकता है?

पुलिस विभाग के वरिष्ठ सूत्रों की मानें तो बागपत का यह मॉडल “पायलट प्रोजेक्ट” के रूप में देखा जा रहा है। यदि इसके नतीजे सकारात्मक रहे तो संभावना है कि इसे अन्य जिलों और फिर पूरे राज्य में लागू किया जा सकता है।

इस पहल की जमकर हो रही है तारीफ

बागपत पुलिस की यह पहल उस बदलाव की मिसाल है, जिसकी देश के कानून व्यवस्था तंत्र को सख्त जरूरत है। यदि अन्य जिले भी इस दिशा में आगे बढ़ते हैं, तो निश्चित ही पुलिस और जनता के रिश्ते में भरोसे का नया अध्याय जुड़ सकता है।

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