अगर दिवाली 31 अक्टूबर को, तो Govardhan Puja कब? जानें शुभ मुहूर्त और पूजा का महत्व

 Govardhan Puja :  पंचांग के अनुसार, गोवर्धन पूजा के लिए कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा तिथि 1 नवंबर की शाम 6:16 बजे प्रारंभ होकर 2 नवंबर की रात 8:21 बजे समाप्त होगी।

 Govardhan Puja :  दिवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजा का महापर्व मनाया जाता है। यह पर्व उत्तर भारत के कई राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा और मध्य प्रदेश में खासतौर पर धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन को अन्नकूट भी कहा जाता है, जब भगवान को 56 प्रकार के भोग अर्पित किए जाते हैं। गोवर्धन पूजा की परंपरा भगवान कृष्ण के समय से शुरू हुई और इसका आरंभ ब्रज क्षेत्र से हुआ। इस अवसर पर गाय की पूजा भी होती है, जिसे हिंदू धर्म में गौमाता का सम्मान दिया गया है। इस साल, दिवाली के जैसे ही, गोवर्धन पूजा की तिथि को लेकर लोगों में यह असमंजस है कि इसे 1 नवंबर 2024 को मनाना है या 2 नवंबर को।

कब है Govardhan Puja

पंचांग के अनुसार, गोवर्धन पूजा के लिए कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा तिथि 1 नवंबर की शाम 6:16 बजे प्रारंभ होकर 2 नवंबर की रात 8:21 बजे समाप्त होगी। उदयातिथि को ध्यान में रखते हुए, गोवर्धन पूजा और अन्नकूट का पर्व 2 नवंबर को मनाया जाएगा।

इस दिन पूजा के लिए तीन शुभ मुहूर्त निर्धारित हैं। पहला मुहूर्त सुबह 6:34 से 8:46 बजे तक है, दूसरा मुहूर्त दोपहर 3:23 से शाम 5:35 बजे तक और तीसरा शुभ मुहूर्त शाम 5:35 से 6:01 बजे तक होगा।

कैसे करें Govardhan Puja की पूजा

गोवर्धन पूजा के दिन सुबह जल्दी उठकर शरीर पर तेल लगाकर मालिश करें और स्नान कर साफ कपड़े पहनें। इसके बाद घर के मुख्य द्वार पर गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाएं और उसके चारों ओर ग्वालबाल, पेड़ और पौधों की आकृतियां सजाएं। गोवर्धन पर्वत के बीच भगवान कृष्ण की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। फिर विधिपूर्वक गोवर्धन पर्वत और भगवान कृष्ण की पूजा करें, उन्हें पंचामृत और 56 भोग अर्पित करें। इसके बाद अपनी मनोकामनाओं को भगवान के सामने रखते हुए उनके पूर्ण होने की प्रार्थना करें।

गोवर्धन पूजा के दिन भगवान को 56 प्रकार के भोग अर्पित करने की परंपरा है, जिसे अन्नकूट कहा जाता है। इस दिन कृष्ण मंदिरों में अन्नकूट का भव्य आयोजन किया जाता है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण ने देवराज इंद्र के अभिमान को तोड़ने के लिए एक अनोखी लीला की थी। जब इंद्र ने मूसलधार बारिश करवा कर गोकुलवासियों को संकट में डाल दिया, तब भगवान कृष्ण ने अपनी छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठाकर सभी गोकुलवासियों को बचाया। तभी से ब्रज मंडल में कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा के दिन भगवान कृष्ण की विशेष पूजा और अर्चना की परंपरा जारी है।

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं पर आधारित है.JournalistIndia इन मान्यताओं की पुष्टि नहीं करता है. यहां पर दी गई किसी भी प्रकार की जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह अवश्य ले लें.

Leave A Reply

Your email address will not be published.