Mahakumbh 2025 : क्यों माना जाता है महाकुंभ स्नान को जीवन बदलने वाला अवसर? जानें महत्व और नियम
Mahakumbh 2025 : 12 वर्षों के इंतजार के बाद अब प्रयागराज में महाकुंभ मेला आयोजित होने जा रहा है, जो दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन माना जाता है।
Mahakumbh 2025 : 12 वर्षों के इंतजार के बाद अब प्रयागराज में महाकुंभ मेला आयोजित होने जा रहा है, जो दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन माना जाता है। इस मेले में देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु आकर आस्था की डुबकी लगाएंगे। महाकुंभ को दुनिया का सबसे प्राचीन धार्मिक माना जाता है, और इसे लेकर लोगों की गहरी आस्था है। महाकुंभ में स्नान और ध्यान का विशेष महत्व है, और इसके नियम भी बहुत खास हैं।
महाकुंभ का आयोजन हर 12 साल में चार स्थानों पर होता है: प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक। हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में एक-एक नदी है, लेकिन प्रयागराज में तीन नदियों का संगम है—गंगा, यमुना और सरस्वती। इस कारण प्रयागराज को अन्य तीर्थ स्थलों से ऊंचा स्थान प्राप्त है, और यहां स्नान का महत्व विशेष हो जाता है।
जानें नियम
महाकुंभ में स्नान करने के कुछ जरूरी नियम हैं जिनका पालन करना अनिवार्य है। शाही स्नान के दिन सबसे पहले नागा साधु स्नान करते हैं, और उनके बाद ही अन्य लोग स्नान कर सकते हैं। स्नान के बाद सूर्य देव को जल अर्पित करना पुण्यफल देता है। विवाहित व्यक्तियों को शास्त्रों के अनुसार पांच बार डुबकी लगानी होती है। स्नान के बाद घर से लाए गए अनाज, कपड़े आदि को गरीबों और जरूरतमंदों में दान देना चाहिए।
महाकुंभ में एक बार स्नान करने से इस जन्म के साथ-साथ पिछले जन्म के पाप भी समाप्त हो जाते हैं, और साथ ही पितरों की आत्मा को शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है। शाही स्नान का दिन विशेष महत्व रखता है, लेकिन सामान्य दिनों में भी स्नान का अपना पुण्य है।