Delhi Ncr Green Patake : दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) के निवासियों के लिए सुप्रीम कोर्ट ने दिवाली 2025 के अवसर पर पटाखे फोड़ने की अनुमती तोदे दी लेकिन कुछ महत्वपूर्ण शर्तें भी रखी हैं. अब ग्रीन पटाखों (Green Firecrackers) को जलाने की सीमित अनुमति दी गई है, लेकिन इसके साथ न्यायालय ने 10 सख्त शर्तें भी लागू की हैं, जिनका पालन अनिवार्य होगा।
वायु प्रदूषण की गंभीर स्थिति को ध्यान में रखते हुए, यह फैसला परंपरा और पर्यावरण के बीच संतुलन स्थापित करने की एक कोशिश मानी जा रही है.
क्या हैं ग्रीन पटाखे?
ग्रीन पटाखे ऐसे आतिशबाज़ी उत्पाद होते हैं जिनमें कम प्रदूषक रसायनों का उपयोग होता है और ये कम ध्वनि और धुएं के साथ काम करते हैं. इन्हें CSIR-NEERI (नेशनल एनवायरनमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट) द्वारा विकसित किया गया है.
सुप्रीम कोर्ट की 10 सशर्त मंजूरी
- केवल प्रमाणित ग्रीन पटाखों की अनुमति – सिर्फ CSIR-NEERI द्वारा प्रमाणित और QR कोड युक्त पटाखे ही जलाए जा सकते हैं।
- निर्धारित समय सीमा – पटाखे जलाने की अनुमति केवल सुबह 6 से 7 बजे और शाम 8 से 10 बजे तक होगी।
- निर्धारित तिथियां – दिल्ली-NCR में ग्रीन पटाखे केवल 18 अक्टूबर से 21 अक्टूबर 2025 तक ही जलाए जा सकते हैं।
- निर्धारित स्थानों पर ही पटाखे जलें – स्थानीय प्रशासन द्वारा चिन्हित खुले स्थानों पर ही आतिशबाज़ी की जा सकेगी।
- ऑनलाइन बिक्री पर प्रतिबंध – ग्रीन पटाखों की ई-कॉमर्स या ऑनलाइन बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध रहेगा।
- केवल लाइसेंसधारी विक्रेता बेच सकेंगे – पटाखों की बिक्री सिर्फ अधिकृत लाइसेंसधारी दुकानों से ही हो सकेगी।
- QR कोड अनिवार्य – हर ग्रीन पटाखे की पैकिंग पर QR कोड होना अनिवार्य है, जिससे उसकी प्रमाणिकता की जांच की जा सके।
- पुलिस व प्रशासन की निगरानी – दिल्ली पुलिस और नगर प्रशासन निगरानी टीमें गठित करेंगे जो नियमों का उल्लंघन रोकेंगी।
- उल्लंघन पर सख्त कार्रवाई – नियमों का पालन न करने पर पटाखे जब्त, लाइसेंस रद्द, और कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
- वायु गुणवत्ता की निगरानी – CPCB और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड दिवाली से पहले और बाद में AQI (Air Quality Index) की निगरानी कर रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को देंगे।
क्यों उठाया गया ये कदम?
हर साल दिवाली के समय दिल्ली और NCR में वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर तक पहुंच जाता है। इससे अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और अन्य श्वसन संबंधी रोगों में इज़ाफा होता है। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला लोगों को त्योहार मनाने की आज़ादी और पर्यावरण सुरक्षा के बीच संतुलन बनाने की दिशा में एक व्यावहारिक पहल है।
नागरिकों की जिम्मेदारी
सरकार और न्यायालय ने अपनी ओर से ज़िम्मेदारी निभाई है। अब नागरिकों का भी कर्तव्य है कि वे इन नियमों का ईमानदारी से पालन करें और एक सुरक्षित, प्रदूषण-मुक्त दिवाली मनाएं। “त्योहारों की रोशनी से दिलों को रोशन करें, ना कि हवा को धुएं से काला करें।”