महाशिवरात्रि का शुभ दिन, मनाने के पीछे पौराणिक मान्यता

हिन्दू परंपराओं में महाशिवरात्रि को बड़े पर्व के तौर पर मनाया जाता है, इस दिन कैलाश के स्वामी भगवान शिव की पूजा अर्चना की जाती है. महाशिवरात्रि फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन मनाया जाता है. माना जाता है कि इसी दिन भगवानशिव प्रकट हुए थे. महाशिवरात्री के दिन भगवान शिव की उपासना से जीवन में सुख संपदा की प्राप्ति होती है. इस दिन शिव को बेल के फल और पत्ते, भांग-धतूरा, चढ़ाया जाता है, व्रत, उपवास, मंत्रजाप के साथ भक्त शिव की अराधना करते हैं. शिवपुराण के अनुसार इसी दिन ब्रह्मा और विष्णु भगवान द्वारा भगवान शिव के निराकार स्वरूप पूजित हुए.

भगवान शिव की पूजा करने के विधि विधान

भगवान शिव की पूजा अर्चाना में भगवान शिव को याद किया जाता है और भगवान शिव की पूजा के दौरान दूध, दही शहद से शिव का अभिषेख करते हैं, शिव को गन्ने का रस भी चढ़ाया जाता है साथ ही बेल के फल, पत्र यानी बेल की पत्तियां, भांग औऱ धतूरा के साथ शिव को जलाभिषेक करते हैं. कहा जाता है कि भगवान शिव को बेलपत्र सबसे ज्यादा पसंद है.

भगवान शिव के मंत्र

ॐ नमः शिवाय
नमो नीलकण्ठाय
ॐ ह्रीं ह्रौं नम: शिवाय
ॐ पार्वतीपतये नमः
ॐ पशुपतये नम:॥
ॐ नम: शिवाय शुभं शुभं कुरू कुरू शिवाय नम: ॐ ॥
श्रीभगवते साम्बशिवाय नमः । स्नानीयं जलं समर्पयामि।

महामृत्युंजय मंत्र

ऊँ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
ऊर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्
ऊँ भुव: भू: स्व: ऊँ स: जूं हौं ऊँ।।

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