पूरे देश में गंगा दशहरे की धूम : 100 सालों बाद बने 4 शुभ योग, जाने क्यों है खास ?
हिंदू पंचांग के अनुसार आज ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि है, आज प्रात: 2:32 मिनट पर शुरू हुआ ये शुभ मुहुर्त 17 जून 2024 को सुबह 4:50 मिनट पर समाप्त होगा.
Ganga Dussehra 2024: भारत मान्यता और पर्वों का देश है ऐसे में भारत में कई पर्व तिथि त्योहार आते हैं उनमें से एक पर्व है गंगा दशहरा, मान्यता के अनुसार गंगा दशहरा ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है, माना जाता है कि, कहा जा ता है कि इसी दिन झरती पर गंगा का अवतरण हुआ था, इस दिन गंगा स्नान करना, घरों में पूजा में गंगा जल का उपयोग, औऱ दान कर्म करना विशेष लाभकारी माना जाता है. गंगा दशहरा के दिन गंगा की आराधना करने से पाप दूर होते हैं,
मां गंगा और उनका पृथ्वी में अवतरण
गंगा, जल की एक धारा है, एक प्रवाह है, जो आगे चलकर नदी का रूप लेती है, गंगा नदी उत्तर भारत के हिमालयी राज्य उत्तराखंड के गंगोत्री से निकलती है. जिसमें आगे जाकर कई और श्रोत मिलते हैं, गंगा भारत के कई राज्यों से होकर बहती है. हिंदू धर्म में इसे अत्यंत पवित्र माना जाता है. सनातन धर्म में गंगा को मां का दर्जा दिया गया है. पौराणिक कथाओं और मान्यताओं के अनुसार कहा जा ता है श्री विष्णु के चरणों धारण करने वाली गंगा, धरती पर भागीरथ की तपस्या से आई, कहा जाता है कि भगीरथ ने अपने पुर्खों को मोक्ष्य दिलाने के लिए ब्रह्मा जी की तपश्या की, ब्रह्मा जी भगीरथ की तपश्या से प्रभावित हुए औऱ उन्होंने गंगा को पृथ्वी लोक से होकर पाताल में जाने की आज्ञा दी ताकि भगीरथ के पुर्खों को मोक्ष प्राप्त हो सके, ब्रह्मा जी का आदेश सुन मां गंगा क्रोधित हो उठी औऱ उन्होंने निर्णय लिया को वो अपने पूरे वेग से बहकर सब कुछ हला लेजाएंगी, मां गंगा को क्रोधित देश सभी देव डर गए और उन्होंने भगवान शिव से आग्रह किया कि वो गंगा को बहाव को रोकें, तभी भगवान शिव ने अपनी जटाओं से मां गंगा के वेग को राका औऱ फिर उन्हें 7 साधारों में प्रवाहित कर दिया, ये सातों धाओं में भगीरथ पावनी, नलिनी, हृदिनी, सीता, चक्षुष औऱ सिंधु थीं. जिनमें से भागीरथी को गंगा दर्जा दिया गया औऱ इसी गंगा को सनातन में मोक्षदायिनी माना जाता है.