I Love Mohammad Controversy : देश में इन दिनों “आई लव मोहम्मद” और “आई लव महादेव” विवाद ने तूल पकड़ लिया है। सोशल मीडिया से लेकर सड़कों तक, इस मुद्दे ने धार्मिक भावनाओं को भड़काने का काम किया है। यह विवाद सिर्फ कुछ नारे या स्लोगन तक सीमित नहीं रहा, बल्कि अब राजनीतिक, सामाजिक और धार्मिक संगठनों की बयानबाजी ने इसे और संवेदनशील बना दिया है।
विवाद की शुरुआत कैसे हुई?
दरअसल, हाल ही में कुछ जगहों पर युवाओं ने “I Love Mohammad” लिखे टी-शर्ट और बैनर के साथ कार्यक्रम किए। इसके जवाब में दूसरे पक्ष से “I Love Mahadev” का कैंपेन शुरू हो गया। दोनों ही स्लोगन देखने-सुनने में आम लगे, लेकिन धार्मिक पहचान से जुड़े होने की वजह से लोगों की भावनाएं भड़क उठीं।
धीरे-धीरे यह मुद्दा सोशल मीडिया पर वायरल होने लगा और हैशटैग वॉर की स्थिति बन गई। फेसबुक, ट्विटर (X) और इंस्टाग्राम पर दोनों समुदाय के लोग अपने-अपने धार्मिक प्रतीक और नारों के साथ आमने-सामने आ गए।
किसने क्या कहा?
हिंदू संगठनों का रुख
- कई हिंदू संगठनों ने आरोप लगाया कि “I Love Mohammad” के नाम पर धार्मिक उकसावे की राजनीति हो रही है।
- उन्होंने यह भी कहा कि अगर कोई “I Love Mahadev” लिखे, तो उसे सांप्रदायिक बताया जाता है, जबकि दूसरे पक्ष को बढ़ावा दिया जाता है।
मुस्लिम संगठनों का रुख
- मुस्लिम संगठनों का कहना है कि “I Love Mohammad” उनके ईमान और आस्था से जुड़ा हुआ है।
- उन्होंने आरोप लगाया कि “I Love Mahadev” का कैंपेन एक प्रतिक्रिया स्वरूप शुरू किया गया है ताकि माहौल खराब किया जा सके।
राजनीतिक दलों की बयानबाजी
- कुछ विपक्षी नेताओं ने इसे “धार्मिक ध्रुवीकरण” की साजिश करार दिया।
- वहीं, सत्तापक्ष के नेताओं का कहना है कि सभी धर्मों को समान रूप से सम्मान मिलना चाहिए और किसी को भी अपनी आस्था जताने से रोका नहीं जा सकता।
सोशल मीडिया की भूमिका
इस विवाद को सबसे ज्यादा हवा सोशल मीडिया ने दी। कुछ वायरल वीडियो और तस्वीरों ने दोनों पक्षों के बीच अविश्वास और नाराजगी को बढ़ा दिया। ट्रेंडिंग हैशटैग्स में #ILoveMahadev और #ILoveMohammad कई दिनों तक टॉप पर रहे।
समाज पर इसका क्या असर पड़ेगा.
- सामाजिक असर- अगर विवाद यूं ही बढ़ता रहा, तो दो समुदायों के बीच अविश्वास गहराता जाएगा
- राजनीतिक असर- चुनावी मौसम में इस तरह के मुद्दे राजनीतिक दलों के लिए ध्रुवीकरण का हथियार बन सकते हैं।
- युवाओं पर असर- धार्मिक पहचान को लेकर युवाओं में टकराव और असहिष्णुता बढ़ सकती है।
- कानूनी असर- कई राज्यों में इस मामले पर FIR दर्ज हो चुकी हैं। आगे पुलिस और प्रशासन की कड़ी कार्रवाई भी देखने को मिल सकती है।
इस पूरे विवाद से आगे क्या हो सकता है?
“I Love Mohammad” और “I Love Mahadev” विवाद यह दिखाता है कि कैसे साधारण से दिखने वाले स्लोगन भी धार्मिक पहचान और राजनीति की वजह से बड़ा रूप ले लेते हैं। समाज में शांति और सौहार्द बनाए रखने के लिए जरूरी है कि लोग धार्मिक नारों को उकसावे की तरह न लें, बल्कि व्यक्तिगत आस्था और श्रद्धा के रूप में देखें।
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