Caste Census Explained: जातिगत जनगणना क्या होती है, इसे कराने के पीछे का मकसद क्या?;आसान भाषा में समझिए
caste census explained what is the purpose behind conducting it?
Caste Census Explained: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस और इंडी गठबंधन के हाथ से उनका सबसे बड़ा मुद्दा छीन लिया है और ये मुद्दा है जातिगत जनगणना का, जिसका नाम लेकर I.N.D.I.A Bloc ने साल 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन 30 अप्रैल को मोदी कैबिनेट की मीटिंग में जातिगत जनगणना कराने का फैसला ले लिया गया. इस फैसले को विपक्ष जहां राहुल गांधी की बड़ी जीत करार देने में लगा हुआ है, तो वहीं सरकार इसे मोदी का मास्टरस्ट्रोक बता रहही है.
विपक्ष वोट बैंक की तरह इस्तेमाल करती है जाति
बता दें कि सरकार ने जातिगत जनगणना कराने का एलान कर दिया है। ये जनगणना मूल जनगणना के साथ ही कराई जाएगी. केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इसकी जानकारी दी और बताया कि अगली जनगणना में जातियों की भी गणना होगी। ये फैसला 30 अप्रैल को पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में लिया गया. केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने विपक्ष पर आरोप लगाया कि कांग्रेस ने हमेशा जातियों का इस्तेमाल वोट बैंक के लिए किया है।
जातिगत जनगणना क्या है?
जातिगत जनगणना का मतलब है –जनसंख्या की गिनती. इस दौरान लोगों की जाति की भी जानकारी इकट्ठा की जाती है. सरकार ये भी पता लगाती है देश में कितने लोग हैं, उनकी उम्र, लिंग, पढ़ाई, काम आदि क्या है.
जातिगत जनगणना का मकसद क्या है?
जातिगत जनगणना से सरकार को ये जानने में मदद मिलती है कि:
• किस जाति के लोग कितनी संख्या में हैं
• कौन-सी जातियां सामाजिक या आर्थिक रूप से पिछड़ी हैं
• किस क्षेत्र में किस जाति की स्थिति कैसी है – जैसे शिक्षा, रोजगार, गरीबी आदि में
भारत में आखिरी जनगणना कब हुई थी ?
भारत में आखिरी जनगणना साल 2011 में हुई थी. ये जनगणना भारत की 15वीं राष्ट्रीय जनगणना थी और स्वतंत्रता के बाद 7वीं जनगणना थी। इसमें भारत की कुल आबादी 121 करोड़ से ज्यादा दर्ज की गई थी.
प्रत्येक 10 साल के अंतराल पर होती है जनगणना
प्रत्येक 10 साल के अंतराल पर जनगणना 1951 से की जाती आ रही है, लेकिन 2021 में कोरोना महामारी के कारण जनगणना टल गई थी. राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को भी अपडेट करने का काम बाकी है। अभी तक जनगणना की नई तारीख का आधिकारिक तौर पर एलान भी नहीं किया गया है।