Trum Putin Meeting : 2025 के अगस्त महीने में, विश्व की राजनीति ने एक अप्रत्याशित मोड़ लिया। अमेरिका के अलास्का में, पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की बहुचर्चित बैठक हुई। इस बैठक ने न केवल भू-राजनीतिक समीकरणों को हिला दिया, बल्कि यह भी दिखाया कि भविष्य में अंतरराष्ट्रीय कूटनीति किस दिशा में जा सकती है।
क्या रहे ट्रंप-पुतिन के मुलाकात के मायने
अमेरिकी शहर अलास्का में हुई इस वार्ता को शांति वार्ता के नाम पर प्रस्तुत किया गया. लेकिन इसमें कई परतें छिपी थीं। एक ओर पुतिन को अंतरराष्ट्रीय मंच पर फिर से मान्यता मिलती दिखी, वहीं ट्रंप ने इसे “शांतिपूर्ण भविष्य की शुरुआत” कहा। हालांकि, ज़मीनी स्तर पर कोई ठोस समझौता नहीं हुआ।
यूक्रेन युद्ध: क्या होगा अगला अध्याय?
यूक्रेन संकट इस मुलाकात का मुख्य विषय था। लेकिन बातचीत में न तो सीज़फायर पर सहमति बनी और न ही किसी नई रणनीतिक योजना की घोषणा हुई। पुतिन की ओर से यह संकेत जरूर मिला कि यदि पश्चिमी देश दबाव घटाते हैं, तो रूस “शांति का रास्ता” अपनाने को तैयार है।
परंतु क्या यह वास्तव में शांति की मंशा है, या केवल समय खरीदने की चाल?
ट्रंप की रणनीति: शक्ति या सौदेबाज़ी?
डोनाल्ड ट्रंप इस समय सत्ता में नहीं हैं, परंतु 2024 की चुनावी हार के बाद भी उनकी कूटनीतिक सक्रियता यह दिखाती है कि वह 2028 में वापसी की तैयारी कर रहे हैं।
इस मुलाकात के ज़रिये उन्होंने वैश्विक मंच पर फिर से अपनी पकड़ बनाने की कोशिश की है। लेकिन आलोचकों का कहना है कि ट्रंप रूस के साथ जरूरत से ज़्यादा नरमी दिखा रहे हैं—यह अमेरिका की विदेश नीति के लिए खतरे की घंटी हो सकती है।
चीन और यूरोप की प्रतिक्रिया
इस वार्ता को लेकर चीन ने चुप्पी साध रखी है. लेकिन यूरोपीय संघ के देशों में हलचल तेज हो गई है। जर्मनी और फ्रांस जैसे राष्ट्रों को चिंता है कि कहीं अमेरिका एकतरफा निर्णयों से यूरोपीय सुरक्षा ढांचे को कमज़ोर न कर दे। नाटो (NATO) को भी अब स्पष्ट रुख अपनाना होगा कि वह यूक्रेन के पक्ष में कितना अडिग है।
भविष्य की दिशा: तीन संभावित रास्ते
शांति की ओर बढ़ना- यदि अमेरिका, रूस और यूक्रेन त्रिपक्षीय वार्ता करते हैं, तो एक समझौता संभव है, खासकर यदि यूरोपीय देश भी वार्ता में शामिल हों.
स्थिति जस का तस रहना- बैठक के बाद सिर्फ प्रतीकात्मक संदेश जारी हों, लेकिन ज़मीनी स्तर पर कोई बदलाव न हो—युद्ध और अस्थिरता जारी रहे.
नया संघर्ष का दौर- अगर रूस को यह संदेश मिले कि अमेरिका उसकी कार्रवाइयों पर नरम है, तो वह आक्रामक रवैया और बढ़ा सकता है—विशेषकर पूर्वी यूरोप में.
आखिर क्या निकला निष्कर्ष और क्या रही उम्मीद –
ट्रंप और पुतिन की मुलाकात ने एक बात तो साफ कर दी है कि विश्व की राजनीति अब परंपरागत सिद्धांतों पर नहीं, बल्कि नेताओं की व्यक्तिगत छवि और समीकरणों पर चल रही है। आगे क्या होगा, यह इस बात पर निर्भर करेगा कि अगली चाल कौन चलता है—पुतिन, ट्रंप, या ज़ेलेंस्की।
जहां एक ओर यह बैठक संभावित शांति की ओर एक कदम मानी जा सकती है, वहीं दूसरी ओर यह भी एक चेतावनी है कि शक्ति और छवि की राजनीति अंतरराष्ट्रीय स्थिरता को कितना प्रभावित कर सकती है।
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