मोदी कैबिनेट में उत्तराखंड को भी जगह, अजय टम्टा बने मोदी कैबिनेट के मंत्री, जानिए कौन हैं अजय टम्टा…?
कौन हैं अजय टम्टा ? जिन्हें मोदी कैबिनेट में फिर जगह मिली है, आखिर अजय टम्टा को दूसरी बार कौन सा दायित्व सौप रहे हैं नरेन्द्र मोदी, जानिए इस रिपोर्ट में...
Journalist India : पांचों लोकसभा सीटें अपने नाम करने वाली उत्तराखंड को भी मोदी कैबिनेट में जगह मिली है, उत्तराखंड के अल्मोड़ा संसदीय सीट से लगातार तीसरी बार जीत हासिल करने वाले अजय टम्टा को मंत्री पद में जगह मिली है, अजय टम्टा को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का करीबी माना जाता है, अजय टम्टा को भाजपा के लिए उत्तराखंड में बड़ा दलित चेहरा माना जाता है. कहा जा रहा है कि उन्हें मंत्री बनाकर पार्टी ने उत्तराखंड में जातिगत समीकरण साधने की कोशिश भी की है. अजय टम्मा को 2014 में मोदी कैबिनेट में केंद्रीय कपड़ा राज्य मंत्री की जिम्मेदारी मिली थी, अजय टम्टा कांग्रेस के प्रदीप टम्टा को लगातार तीसरी बार हराकर संसद पहुंचे हैं. हालाकि 2009 में वो कांग्रेस के ही प्रदीप टम्टा से हार गए थे.
विधायक भी रहे है अजय टम्मा
अजय टम्टा 2007 और 2012 में अल्मोड़ा जिले की सोमेश्वर विधानसभा सीट से दो बार विधायक भी चुने गए, अब इस सीट पर रेखा आर्या विधायक हैं जो कि इस समय उत्तराखंड सरकार में मंत्री भी हैं, अजय टम्टा 2007 में भुवन चंद्र खंडूरी के नेतृत्व वाली सरकार में उद्यान मंत्री थे।
सरल और सफर राजनेता के तौर पर है सांसद अजय टम्टा की छवि
बीजेपी सांसद अजय टम्टा की छवि बेदाग, विवादों से दूर रहने वाले एक सरल राजनेता की तरह रही है। संगठन में हो या फिर कार्यकर्ताओं के बीच य़ा फिर जनता के बीच अजय टम्टा की छवी अच्छी रही है. इसी के चलते इस बार भी भाजपा ने एक बार फिर अल्मोड़ा लोकसभा से उनपर दांव लगाया औऱ उसमें वो सफल भी रही.
कैसा रहा अजय टम्टा का राजीतिक सफर?
23 वर्ष की उम्र में राजनीति की शुरुआत करने वाले अजय टम्टा अभी तक नौ बार चुनाव लड़ चुके हैं जिनमें से उन्हें छह बार जीत हासिल हुई, सबसे पहले साल 1996 में जिला पंचायत सदस्य से अजय टम्टा की राजनीतिक यात्रा की शुरुआत हुई। इसी दौरान साल 1999 से 2000 के बीच अजय टम्टा जिला पंचायत अध्यक्ष भी रहे, इसी के साथ उन्होंने सबसे कम उम्र का जिला पंचायत अध्यक्ष बनने का रिकार्ड भी बनाया। इसके बाद 2002 में वो सोमेश्वर विधानसभा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़े लेकिन वो इस चुनाव में हार गए. जिसके बाद 2007 में भाजपा ने उन्हें विधानसभा के लिए टिकट दिया औऱ वो जीतकर उत्तराखंड की विधानसभा पहुंचे । इसके बाद 2009 में उन्होंने लोकसभा चुनाव भी लड़ा लेकिन वो कांग्रेस के प्रदीप टम्टा से हार गए, 2012 में एक बार फिर वो विधानसभा पहुंचे, 2014 में भाजपा ने एक बार फिर उनपर लोकसभा के लिए दांव लगाया इस बार वो जीतकर संसद पहुंच गए, इसके बाद लगातार तीसरी बार वो चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे और जीत की हैट्रिक लगाते हुए दूसरी बार केन्द्र में मंत्री पद ग्रहण किया.