उत्तर प्रदेश को बनाना है उत्तम प्रदेश
लेखक - योगेश मोहन ( वरिष्ठ पत्रकार और आईआईएमटी यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति )
उत्तर प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री महाराज योगी आदित्यनाथ जी एक महान संत, योगी एवं सनातन धर्म के विशिष्ट व्यक्तित्व हैं। उत्तर प्रदेश की जनता उनके सानिध्य में स्वयं को गौरवान्वित अनुभव करती है। उनकी प्रदेश के प्रति निष्ठा, ईमानदारी, निश्छलता सम्पूर्ण भारत देश में व्याप्त है। वे प्रतिदिन 18 से 20 घंटे तक जनता की सेवार्थ स्वयं को समर्पित करते हैं। गौरखपीठ के पीठाधीश्वर अर्थात् योगी जी को उनके अनुयायी ईश्वर सदृश मानते हैं और उनके लिए अपना र्स्वस्व न्यौछावर करने हेतु तत्पर रहते हैं। ऐसा महान नेतृत्व, उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाने में क्यों सफल नही हो पा रहा है यह एक चिंतन का विषय है। प्रदेश की जनता ने वर्ष 2024 के लोकसभा चुनावों में भाजपा को 80 सीटों के स्थान पर मात्र 33 सीटें देकर एक विकट स्थिति में क्यों पहुँचाया? इतने प्रभावशाली नेतृत्व की छवि के समक्ष यह एक गम्भीर प्रश्न है, देशहित में पार्टी नेतृत्व को उन्मुक्त हृदय से इसका समाधान निकालने की आवश्यकता है।
दिल्ली की राजगद्दी का मार्ग उत्तर प्रदेश से होकर जाता है और यदि यह रास्ता ही अवरोधों से परिपूर्ण होगा तो दिल्ली तक पहुँचना असम्भव होगा। यदि इन अवरोधों का निराकरण अतिशीघ्र नहीं किया गया तो भविष्य में भी केन्द्र में सत्तासीन होने का स्वप्न, मात्र एक स्वप्न ही रह जाएगा, इतना ही नहीं, वर्ष 2027 में उत्तर प्रदेश के भावी विधानसभा चुनावों में भी पराजय की सम्भावना बनी रहेगी। उत्तर प्रदेश के मंत्रीगण तथा विधायकगण अपनी ही सरकार के विरुद्ध भ्रष्टाचार के आरोपों की अलख जगा रहें हैं और धरना दे रहे हैं। इसका प्रमुख कारण यह है कि माननीय मुख्यमंत्री श्री योगी जी के निर्देश प्राप्त होने के पश्चात भी कुछ प्रशासनिक अधिकारी, जनता के हितार्थ कार्यो के प्रति उदासीन हैं। सम्भवमतया उत्तर प्रदेश में यह प्रथम अवसर है कि जब मंत्री एवं विधायको को अपने अधिनस्थ अधिकारियों से कार्य कराने हेतु धरना देना पड़ रहा है।
योगी जी ने उत्तर प्रदेश के विकास हेतु देश-विदेश के बड़े-बड़े उद्योगपतियों को प्रदेश में निवेश करने हेतु फरवरी, 2023 में आमंत्रित किया था। उन सम्भावित निवेशकों के सम्मान में हजारों करोड़ रूपयों का व्यय भी किया गया। परन्तु इन निवेशकों में से अधिकांश निवेशक यर्थात् रूप ये निवेशक नहीं बन पाये, यह एक अत्यंत ही निराशापूर्ण स्थिति है। प्रशासनिक अधिकारियों से यह अपेक्षा की गई थी कि वे निवेशको की समस्याओं का अतिशीघ्र समाधान करेगें, परन्तु उनका व्यवहार उन निवेशको के प्रति अत्यधिक उपेक्षापूर्ण रहा है। जनता समस्याओं के निराकरण हेतु सरकारी कार्यालयों में नित्प्रतिदिन जा-जाकर त्रस्त हो रही है। अधिकारियों के निजी सहायकों द्वारा त्रस्त जनता को अधिकारी से मिलने के लिए इमेल के माध्यम से समय निश्चित करने का निर्देश देते हैं, अशिक्षित व निर्धन जनता यह कैसे करेगी और कितने दिन लखनऊ में पड़े रहेंगे? ऐसे निर्देश पारित करना सरकार की छवि को धूमिल करने वाला कार्य है। सत्तारूढ़ मंत्री व विधायक प्रशासनिक अधिकारियों के समक्ष असहाय दिख रहे है। ऐसी स्थिति में जनता पार्टी को अपना कैसे सहयोग प्रदान करेगी, यह एक यक्ष प्रश्न है जोकि आज समस्त राष्ट्र प्रेमियों को चिंतित कर रहा है।
पार्टी के कार्यकर्ताओं व अधिकारियों का दायित्व है कि वे योगी जी को वास्तविकता से अतिशीघ्र अवगत कराएं। योगी जी द्वारा भ्रष्ट अधिकारियों पर अंकुश लगाना होगा, जनता में सौहार्द की भावना का विकास करने हेतु उनके कष्टों का निवारण अतिशीघ्र करना होगा, तभी उत्तर प्रदेश को एक उत्तम प्रदेश बनाने का स्वप्न साकार हो पाएगा। अब जनता के मध्य लुभावनी घोषणाएं करने का समय नहीं है, त्रस्त जनता की आवश्यकताओं का निराकरण उन्हीं के द्वार पर जाकर करने की आवश्यकता है। अब माननीय मुख्यमंत्री योगी जी के द्वारा यह कठोर निर्देश देने की आवश्यकता है कि अधिकारीगण या तो निष्ठापूर्वक कार्य करें अथवा अपना पद त्याग दें। यदि भाजपा नेतृत्व ने ऐसा कोई कठोर निर्णय अतिशीघ्र नहीं लिया तो दिल्ली की राजगद्दी तो दूर लखनऊ की राजगद्दी भी स्थायी नहीं रहेगी।
योगेश मोहन
( वरिष्ठ पत्रकार और आईआईएमटी यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति )