Uttarakhand News : दिसंबर 2023 में देहरादून में आयोजित ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में उत्तराखंड सरकार ने लगभग 3.5 लाख करोड़ रुपये के एमओयू (समझौता ज्ञापन) साइन किए थे। अब 2025 में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और उनकी सरकार ने इनमें से एक लाख करोड़ रुपये के निवेश को धरातल पर उतारने का दावा किया है. मतलब कि ये प्रोजेक्ट अब कागज़ से बाहर निकलकर ज़मीन पर उतर रहे हैं।
क्या है ‘ग्राउंडिंग’ का मतलब?
ग्राउंडिंग का मतलब होता है कि कोई उद्योग, कारखाना, सेवा या निवेश जो पहले केवल समझौते तक सीमित था, अब भूमि अधिग्रहण, बिजली-पानी की कनेक्टिविटी, निर्माण कार्य या रोजगार की शुरुआत के रूप में धरातल पर दिखाई दे रहा है.
अभी तक जिन-जिन प्रोजेक्टों पर काम चल रहा है उसमें-
1 लाख करोड़ के निवेश में शामिल हैं
फार्मा और बायोटेक उद्योग
टेक्सटाइल पार्क
ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट
वैल्यू एडेड एग्रो प्रोसेसिंग यूनिट
IT और स्टार्टअप इनक्यूबेशन हब
पर्यटन आधारित निवेश (चारधाम और ईको-टूरिज्म ज़ोन)
ग्रामीण और युवाओं पर फोकस
- समारोह में स्थानीय निवेशकों, किसान उत्पादक समूहों (FPO), महिला स्वंय सहायता समूहों, और उद्यमियों को भी मंच मिलेगा।
ग्राम स्तर के स्टार्टअप, हर्बल और आयुर्वेद आधारित उद्योगों, और एग्रो-टेक प्रोजेक्ट्स को भी जोड़ा गया है।
रोजगार की पहल:
- राज्य सरकार का दावा है कि इन निवेशों से 1.8 लाख प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार उत्पन्न होंगे।
- युवाओं को ‘स्किल ट्रेनिंग’ के साथ-साथ इंडस्ट्री पार्टनरशिप प्रोग्राम से जोड़ा जाएगा।
नई बात जो कम लोग जानते हैं:
- इस आयोजन में पहली बार ब्लॉक-स्तर पर निवेशकों को पहचानकर बुलाया गया है – यानी छोटे स्तर के उद्यमियों को भी मंच मिल रहा है।
- उत्तराखंड सरकार ने जिला स्तर पर एक्सक्लूसिव निवेश हेल्प डेस्क की शुरुआत की है ताकि निवेशकों को लाइसेंस और क्लियरेंस में देरी न हो।
- पर्वतीय जिलों में निवेश को आकर्षित करने के लिए अलग “हिमालयन इन्वेस्टमेंट कॉरिडोर” का प्रस्ताव पेश किया जाएगा।
अमित शाह की मौजूदगी – क्यों है अहम?
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह केवल उद्घाटन के लिए नहीं आ रहे, बल्कि वे इस आयोजन को ‘रोल मॉडल’ इन्वेस्टमेंट ग्राउंडिंग कार्यक्रम के रूप में प्रमोट करेंगे, जिससे इसे देशभर के अन्य राज्यों के लिए उदाहरण बनाया जा सके।
यह राजनीतिक तौर पर भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह उत्तराखंड में भाजपा सरकार की दूसरी पारी की एक बड़ी उपलब्धि के रूप में पेश किया जा रहा है।
निष्कर्ष: यह सिर्फ ‘जश्न’ नहीं, बल्कि एक संकेत है
इस आयोजन को केवल सरकारी उपलब्धि के रूप में नहीं, बल्कि एक ट्रांसफॉर्मेशन के बिंदु के रूप में देखा जाना चाहिए:
- राज्य अब केवल पर्यटन या तीर्थाटन तक सीमित नहीं, बल्कि औद्योगिक, तकनीकी और कृषि आधारित आर्थिक मॉडल की ओर बढ़ रहा है।
- स्थानीय उद्यमियों और युवाओं को सीधे सरकार से जुड़ने का अवसर मिल रहा है।
- यह आयोजन पहाड़ और मैदान के बीच विकास के सेतु की तरह कार्य कर सकता है।
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