कौन हैं सांसद आनंद भदौरिया जिन्होंने बीजेपी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष को दी मात
Report By Journalist Rahul Rathor : सासंद संवाद में आज हम बात कर रहे हैं लखीमपुर व सीतापुर दोनों जिलों से बनीं लोकसभा सीट धौरहरा जिस पर आज समाजवादी पार्टी के आनंद सिंह भदौरिया सांसद हैं.
समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव के बेहद करीबी माने जाने वाले आनंद भदौरिया ने 2024 लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज की और वो 18वीं लोकसभा के सदस्य बनकर यूपी के धौरहरा से संसद पहुंचे. इस सीट से हमेशा दूर रही समाजवादी पार्टी के आनंद भदौरिया ने जीत दर्ज कर सभी को चौका दिया, पहली बार इस सीट पर समाजवादी पार्टी का परचम लहराने वाले आनंद भदौरिया ने न सिर्फ समाजवादी पार्टी के खाते में एक सीट की बढ़ोत्तरी की बल्कि आनंद भदौरिया ने बीजेपी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और दो बार की सांसद रेखा वर्मा को 4 हजार 49 वोटों के चमत्कारी अंतर से हराया। आनंद भदौरिया को धौरहरा लोकसभा सीट से 4 लाख 43 हजार 743 वोट मिले जबकि उनकी प्रतिद्धंदी बीजेपी की रेखा वर्मा को कुल 4 लाख 39 हजार 294 वोट मिले.
कैसा रहा आनंद भदौरिया का राजनीतिक सफर ?
छात्र राजनीति से सक्रिय राजनीति में कदम रखने वाले आनंद भदौरिया को टीम अखिलेश का अहम सदस्य माना जाता है. सांसद आनंद भदौरिया की शिक्षा दीक्षा लखनऊ से हुई, लखनऊ यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के दौरान उन्हेंने पहली बार राजनीति में कदम रखा और छात्र संघ का चुनाव भी लड़ा. छात्र राजनीति के दौरान ही वो मुलायम सिंह की समाजवादी विचारधारा से काफी प्रभावित थे. इसलिए पढ़ाई पूरी करने के बाद आनंद भदौरिया ने समाजवादी पार्टी ज्वाइन की और समाजवादी पार्टी के संर्घष के साथी रहे, देखते ही देखते वह सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव की कोर टीम में शामिल हो गए और समाजवादी विचारधारा को आगे बढ़ाने लगे, बतौर नतीजा आनन्द भदौरिया आज देश की लोकसभा में धौरहरा का नेतृत्व कर रहे हैं।
कभी अधिकारियों की प्रताड़ना के शिकार हुए थे लेकिन आज बन गए सांसद.
आनंद भदौरिया पहली बार 2011 में उस समय चर्चा में आए थे, जब बसपा शासन के दौरान लखनऊ में यूपी विधानसभा के बाहर सपा कार्यकर्ता प्रदर्शन कर रहे थे. उसी दौरान एक पुलिस अधिकारी द्वारा उन्हें पैरों से रौंदे जाने की तस्वीरें समाचार की सुर्खियां बन गई थी. इस खबर की चर्चा पूरे देश में हुई थी. समाजवादी पार्टी ने इसका भरपूर विरोध किया था और अखिलेश यादव ने इसको लेकर प्रेस कॉंफ्रेंस भी की थी और तब से वह अखिलेश की संघर्ष सेना के सिपाही बन गये जिन्होंने समाजवादी के संर्घष रण से लोकसभा तक का सफर तय किया। किसी को नहीं पता था कि एक दशक पहले जिस नेता के चेहरे पर एक IPS ने लात रख दी थी वह एक दिन सांसद बन जाएगा.
एमएलसी बनने के बाद सदन में योगी आदित्यनाथ से भी टकराए थे आनंद भदौरिया.
जब आनंद भदौरिया सीतापुर से एमएलसी चुनकर यूपी विधानसभा पहुंचे तो उन्होंने सदन में कई मुद्दों पर सीएम योगी आदित्यनाथ को भी घेरा और खूब चुटकियां लीं. तब सीएम योगी आदित्यनाथ सदन छोड़कर जाते देखे गए. साल 2016 से 2022 तक आनंद भदौरिया यूपी विधान परिषद के सदस्य रहे और विधासभा में कई मुद्दों पर बेवाक चर्चा कर जनता की आवाज को शासन तक पहुंचाने का काम किया।
2009 में पहली बार हुआ था चुनाव
परिसीमन के बाद 2008 में अस्तित्व में आए धौरहरा लोकसभा में पहली बार 2009 में चुनाव हुए थे. तब कांग्रेस पार्टी के टिकट पर जितिन प्रसाद यहां से चुनाव जीते थे. इसके बाद 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के टिकट पर रेखा वर्मा सांसद बनकर संसद पहुंची, इसके बाद 2024 में एक बार फिर से भारतीय जनता पार्टी ने रेखा वर्मा को टिकट दिया, लेकिन इस बार रेखा वर्मा के सामने अखिलेश यादव ने आनंद भदौरिया को यहां से मैदान में उतारा और पिछले चुनावों में खूब चली मोदी लहर के गायब हो जाने के कारण और आनंद भदौरिया चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे।
जनता का नजरिया
हालांकि आनंद भदौरिया के सांसद बने हुए अभी ज्यादा दिन नहीं हुए हैं लेकिन बकौल जनता आनंद भदौरिया चुनाव जीतने के पहले से ही क्षेत्र की जनता से जमीनी स्तर से जुड़े हुए हैं और चुनाव जीतने के बाद भी उन्होंने जनता का साथ नहीं छोड़ा है बल्कि वह नियमित कार्यक्रम निर्धारित करते हुए क्षेत्र की जनता से मुलाकात कर उनकी समस्याओं का जानकर निस्तारण का प्रयास कर रहे हैं। क्षेत्र की जनता को आनंद भदौरिया से काफी उम्मीदें हैं, जिस पर आनंद भदौरिया खरा उतरने की पुरजोर कोशिश कर रहे हैं।