पलटुरामों की राजनीति

Journalist Yogesh Mohan : भारत देश में लोकतांत्रिक शासन है, इस शासन का अभिप्राय यह है कि जनता का, जनता के लिए, जनता द्वारा शासन। परन्तु राजनीतिक क्षेत्र में दल बदलु प्रवृत्ति अर्थात् स्वतंत्रता का अत्यधिक उपयोग किए जाने कारण सरकार के अस्तित्व में अस्थिरता बनी रहती है। वर्ष 2024 की लोकतांत्रिक राजनीति में पलटुराम नेतागण अवतरित हो गए हैं। उपरोक्त दोनों ही प्रकार की प्रवृत्ति से युक्त नेतागण किसी भी सरकार के स्थायित्व के लिए संकट स्वरूप होते हैं। देश की समृद्धि एवं विकास के लिए स्थिर सरकार का होना अति आवश्यक होता है। दलबदलु एवं पलटुराम नेतागण जनता के विश्वास तथा भारतीय राजनीति की छवि को अपने तुच्छ स्वार्थ के कारण खंडित कर देते हैैं और जनता के द्वारा चुनी सरकार को अस्थिर बनाते हैं। देश के प्रति प्रतिबद्धता तथा प्रेम का भाव प्रत्येक व्यक्ति में होना चाहिए। प्रत्येक राजनेता से जनता की यह अपेक्षा रहती है कि वे उनके द्वारा चयनित होने के पश्चात अपनी कर्तव्यनिष्ठा व प्रतिबद्धता उस प्रमुख दल के साथ पूर्ण निष्पक्षता के साथ बनाए रखें।

वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के 240 उम्मीदवार चुनकर आए परन्तु सरकार के गठन हेतु 272 उम्मीदवारों की आवश्यकता होती है, अर्थात् 32 सीटों की कमीं को पूर्ण करने के लिए बिहार के प्रमुख नेता नीतीश कुमार, जिनकी पार्टी (जनता दल यूनाटेड) के 12 सदस्य निर्वाचित हुए और आन्ध्र प्रदेश के प्रमुख नेता चन्द्रबाबू नायडू, जिनकी पार्टी (तेलगु देशम पार्टी) के 16 सदस्य विजयी हुए, को एनडीए सरकार में सम्मिलित किया गया।

मोदी सरकार के गठन के पश्चात अब यह अफवाह सुनने को मिल रही है कि उपरोक्त दोनों बैसाखी स्वरूप दल, मोदी सरकार को अस्थिर करने का प्रयास कर रहे हैं। इसमें निहित सत्यता को स्पष्ट रूप से नहीं कहा जा सकता, परन्तु यदि हम दोनों नेताओं के अतीत पर दृष्टिपात करे, तो स्पष्ट होता है कि ये दोनों ही प्रमुख नेतागण विभिन्न सरकारों के कार्यकाल में अनेकों बार अपनी पलटूराम प्रवृत्ति के कारण कई सरकारों को खंडित व निर्मित कर चुके हैं, इस प्रकार की प्रवृत्ति के नेतागणों के कारण ही भारतीय राजनीति में अस्थिरता का वातावरण उत्पन्न होता रहा है, अभिप्राय यह है कि इन दोनों ही नेतागण को सरकार तोड़ने का पुराना अनुभव है। अतः मोदी जी को इन दोनो बैसाखियों पर पूर्ण विश्वास करने की गलती नहीं करनी चाहिए।  समस्त जनता की ईश्वर से प्रार्थना है कि इन दोनों सम्मानित नेताओं में एनडीए के प्रति पूर्ण निष्ठा व प्रतिबद्धता बनी रहे।

देश में एक कानून यह भी लागू होना चाहिए कि जो सरकार एक बार जनता के द्वारा चयनित की गई हो वह अपने कार्यकाल (5 वर्ष) को पूर्ण अवश्य करें, क्योंकि जनता की सरकार, जनता के द्वारा, जनता के लिए 5 वर्ष के लिए चयनित की जाती है। कोई भी सरकार देश की प्रगति में तभी सक्षम होगी, जब वह अपना 5 वर्ष का कार्यकाल पूर्ण करें।

योगश मोहन
( वरिष्ठ पत्रकार और आईआईएमटी यूनिवर्सिटी की कुलाधिपति )

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