Bihar Election 2025 : बिहार चुनाव में सोशल मीडिया की भूमिका: बदलती राजनीति की नई तस्वीर

Bihar Election 2025 : बिहार की राजनीति लम्बे समय से जातीय समीकरणों, धरातली प्रचार और जनसभाओं पर निर्भर रही है। लेकिन बीते कुछ वर्षों में एक बड़ा बदलाव आया है जिसे आप सोशल मीडिया का प्रभाव कह सकते हैं। अब चुनाव सिर्फ मैदानों में नहीं, बल्कि मोबाइल की स्क्रीन पर भी लड़े जा रहे हैं। सोशल मीडिया ने राजनीति प्रचार को न सिर्फ आधुनिक बनाया है, बल्कि जनता और नेताओं के बीच संवाद का एक नया माध्यम भी खोला है।

सोशल मीडिया का बढ़ता उपयोग

बिहार जैसे राज्य में जहाँ युवा मतदाताओं की संख्या बढ़ रही है, वहाँ फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सएप और यूट्यूब जैसे प्लेटफॉर्म अब चुनाव प्रचार के अहम हथियार बन चुके हैं। राजनीतिक दल और उम्मीदवार अब डिजिटल टीम बनाकर सोशल मीडिया पर अभियान चलाते हैं, ताकि वे ज्यादा से ज्यादा लोगों तक अपनी बात पहुंचा सकें।

social media campaign in election
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राजनीतिक पार्टियों की रणनीति-

  1. वीडियो संदेश और लाइव रैलियां:

अब नेताओं की हर सभा को फेसबुक लाइव किया जाता है। इससे जो लोग नहीं पहुंच सकते, वे भी ऑनलाइन जुड़ जाते हैं।

  1. ट्विटर ट्रेंड्स और हैशटैग वॉर:

चुनावी मुद्दों को ट्रेंड कराने के लिए पार्टियां खास रणनीति बनाती हैं। #BiharElection2025 जैसे हैशटैग दिनभर ट्रेंड कराए जाते हैं।

  1. व्हाट्सएप ग्रुप्स:

हर पंचायत, हर बूथ तक पहुंचने के लिए हज़ारों व्हाट्सएप ग्रुप बनाए जाते हैं, जहां रोज़ाना प्रचार सामग्री, वीडियो और स्लोगन भेजे जाते हैं।

  1. मीम और व्यंग्य:

सोशल मीडिया पर चुनावी लड़ाई अब मीम और व्यंग्य के ज़रिए भी लड़ी जा रही है। इससे युवा वर्ग ज्यादा जुड़ाव महसूस करता है। साथ ही इन मीम और व्यंगों पर खूब चर्चा भी होती है.

सोशल मीडिया के फायदे:

  • सीधी पहुंच: उम्मीदवार सीधे जनता से जुड़ सकते हैं, बिना किसी बिचौलिए के।
  • कम लागत में अधिक प्रचार: पारंपरिक प्रचार की तुलना में सोशल मीडिया कम खर्चीला है।
  • तुरंत प्रतिक्रिया: लोग तुरंत अपनी राय दे सकते हैं, जिससे उम्मीदवार को अपनी रणनीति सुधारने का मौका मिलता है।
social media campaign effects in election
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चुनौतियां भी कम नही-

फेक न्यूज़ और अफवाहें: गलत जानकारी या अफवाहें सोशल मीडिया पर तेजी से फैलती हैं, जो चुनाव को प्रभावित कर सकती हैं।

  • आईटी सेल की आक्रमकता: कभी-कभी ट्रोलिंग और अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल होता है, जिससे माहौल खराब होता है।
  • डाटा का दुरुपयोग: लोगों की निजी जानकारी का इस्तेमाल टारगेटेड प्रचार के लिए किया जाता है।

बिहार चुनाव में सोशल मीडिया किस तरह से कर रहा है काम:-

बिहार चुनाव में सोशल मीडिया एक डबल एज वाली तलवार बन गया है – जहां एक ओर ये लोकतंत्र को सशक्त बना रहा है, वहीं दूसरी ओर इसके गलत इस्तेमाल से खतरे भी पैदा हो रहे हैं। लेकिन एक बात तय है – अब बिहार की राजनीति में सोशल मीडिया की अनदेखी करना संभव नहीं है। आने वाले वर्षों में इसका प्रभाव और भी गहरा होने वाला है, और राजनीतिक दलों को इसके इस्तेमाल में और अधिक पारदर्शिता और जिम्मेदारी दिखानी होगी।

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