New GST Slabs से बदला बाजार का मिज़ाज: व्यापारियों और उपभोक्ताओं की मिली-जुली प्रतिक्रिया

नई दिल्ली, 8 सितंबर 2025 —

New GST Slabs : केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में घोषित किए गए नए GST जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) स्लैब ने देशभर के बाजारों में हलचल मचा दी है। जहां कुछ उद्योग जगत इसे राहत की सांस मान रहे हैं, वहीं कई छोटे व्यापारी और उपभोक्ता वर्ग चिंता में भी नजर आ रहे हैं।

क्या बदला है नए GST स्लैब में?

वित्त मंत्रालय ने 1 सितंबर 2025 से लागू नए जीएसटी ढांचे में निम्नलिखित बदलाव किए हैं:

  • 5% स्लैब को घटाकर 3% किया गया: दैनिक उपयोग की कई वस्तुएं जैसे टूथपेस्ट, साबुन और घरेलू सफाई उत्पाद अब 3% टैक्स स्लैब में आ गए हैं।
  • 18% स्लैब को दो हिस्सों में बांटा गया: अब इसमें 15% और 20% दो उप-श्रेणियां बनाई गई हैं, जिससे इलेक्ट्रॉनिक्स और मोबाइल फोन्स जैसी वस्तुओं पर टैक्स घटा है।
  • 30% ‘सिन टैक्स’: तंबाकू उत्पाद, एल्कोहल-आधारित पेय और हाई-एंड लक्ज़री आइटम्स पर नया स्लैब लागू किया गया है।

क्या है बाजारों की प्रतिक्रिया

दिल्ली के करोलबाग मोबाइल व्यापारी कहते हैं,

“मोबाइल फोन पर टैक्स पहले 18% था, अब 15% हो गया है। ग्राहक थोड़ा ज्यादा खरीदारी कर रहे हैं, लेकिन असली असर आने वाले हफ्तों में दिखेगा।”

वहीं, लुधियाना के एक टेक्सटाइल व्यापारियों का मानना है कि,

“GST स्लैब में भले ही राहत दिख रही हो, लेकिन क्लियरिटी की कमी और बार-बार के बदलाव से व्यापारी असमंजस में रहते हैं। हमें स्थिरता चाहिए।”

उपभोक्ताओं का नजरिया

दिल्ली की आम जनता का कहना है कि

“साबुन, टूथपेस्ट जैसी चीजें थोड़ी सस्ती हुई हैं, लेकिन बड़े ब्रांड्स ने MRP कम नहीं किया। आम उपभोक्ता को इसका फायदा पूरी तरह नहीं मिल रहा।”

एक्सपर्ट क्या कहते हैं?

एक्सपर्ट का मानना है कि

“नई GST संरचना में टैक्स को ज्यादा तार्किक और सेक्टर-फ्रेंडली बनाने की कोशिश की गई है। इससे लॉन्ग टर्म में मांग में इज़ाफा हो सकता है, लेकिन सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि इसका लाभ अंतिम उपभोक्ता तक पहुंचे।”

अब आगे क्या?

सरकार ने संकेत दिया है कि यदि यह स्लैब पुनर्गठन सफल होता है, तो दिसंबर में एक और समीक्षा की जा सकती है जिसमें और उत्पादों को कम टैक्स के दायरे में लाया जा सकता है।

नए GST स्लैब ने बाजारों में नई ऊर्जा तो भर दी है, लेकिन इसका असली असर त्योहारों के मौसम में देखने को मिलेगा। व्यापारी उम्मीद लगाए बैठे हैं कि यह टैक्स रिफॉर्म उनके व्यापार को नई उड़ान देगा, वहीं उपभोक्ता यह देखना चाहते हैं कि सस्ता हुआ सामान उनकी जेब पर कितना असर डालता है।

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