Nirmala Sitharaman : ‘कोविड के बाद नई प्राथमिकताएं जरूरी,’ वित्त मंत्री ने उद्योग जगत को दिया संदेश
Nirmala Sitharaman : दुनिया तेजी से बदल रही है, और इसके साथ वैश्विक अर्थव्यवस्था भी नए आयाम स्थापित कर रही है। भारत भी इस परिवर्तन से अछूता नहीं है...
Nirmala Sitharaman : दुनिया तेजी से बदल रही है, और इसके साथ वैश्विक अर्थव्यवस्था भी नए आयाम स्थापित कर रही है। भारत भी इस परिवर्तन से अछूता नहीं है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को कहा कि यदि उद्योग जगत ने इस बदलाव के साथ तालमेल नहीं बिठाया, तो वह पीछे रह जाएगा। उन्होंने उद्योगों को सलाह दी कि वे देश के राजनीतिक और रणनीतिक फैसलों को ध्यान में रखते हुए अपनी नीतियों में बदलाव करें।
अगले दशक की प्राथमिकताएं और वैश्विक शांति की जरूरत
सीतारमण ने अगले दशक के लिए आर्थिक प्राथमिकताओं पर जोर देते हुए कहा कि वैश्विक शांति और स्थिरता बहाल करने के प्रयास किए जाने चाहिए। उन्होंने आगाह किया कि युद्ध या किसी भी प्रकार के व्यवधान से बचने की जरूरत है, क्योंकि ये वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला और खाद्य मूल्य प्रणाली को प्रभावित करते हैं। रोजगार सृजन और विस्तार के लिए छोटे, मझोले और बड़े उद्योगों के बीच बेहतर तालमेल की आवश्यकता पर भी उन्होंने बल दिया।
युद्ध से प्रभावित हो रही वैश्विक अर्थव्यवस्था
वित्त मंत्री ने कहा कि कोविड-19 महामारी के बाद अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए अतिरिक्त प्रयासों की आवश्यकता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि हिंसा या युद्ध जैसी स्थितियां आपूर्ति श्रृंखला और खाद्य प्रणालियों को बाधित करती हैं। सीआईआई के वैश्विक आर्थिक नीति मंच पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि वर्तमान आर्थिक प्राथमिकताओं को राजनीतिक और रणनीतिक जरूरतों के साथ जोड़ा जाना चाहिए।
सीतारमण ने यह भी कहा कि जब हम व्यवधान मुक्त आपूर्ति श्रृंखला की बात करते हैं, तो इसे केवल आर्थिक दृष्टिकोण से नहीं देखा जा सकता। इसके पीछे राजनीतिक और रणनीतिक सोच का भी समावेश होना चाहिए।
बिजनेस वर्ल्ड को बदलाव अपनाने की जरूरत
वित्त मंत्री ने उद्योग जगत से आह्वान किया कि वे केवल आर्थिक सिद्धांतों पर निर्भर न रहें, बल्कि राजनीतिक और रणनीतिक पहलुओं को भी ध्यान में रखें। उन्होंने कहा कि आपूर्ति श्रृंखलाओं को बहाल और पुनः व्यवस्थित करना होगा ताकि भू-राजनीतिक या रणनीतिक जोखिमों से बचा जा सके। पिछले दशक में सीखे गए सबक बताते हैं कि उद्योग और देश दोनों को खुद को बदलना होगा।
सीतारमण ने स्पष्ट किया कि चुनौतियों से निपटने और नई संभावनाओं का दोहन करने के लिए उद्योगों को तेजी से अनुकूलन करना होगा। उन्होंने इसे भारत की विकास यात्रा में एक अहम कदम बताया।