आओ तो स्वागत, नहीं तो भीड़ कम’, बाबा Dhirendra Krishna Shastri की हिंदू एकता पदयात्रा पर बड़ा बयान
Dhirendra Krishna Shastri : बाबा बागेश्वर बताया है, कि में यात्रा का समापन ओरछा में होगा, जहां लाखों हिंदू दोपहर 2 बजे एकत्र होकर जातिवाद और भेदभाव को समाप्त करने का संकल्प लेंगे।
Dhirendra Krishna Shastri : पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री, जिन्हें बाबा बागेश्वर के नाम से जाना जाता है, उन्होंने बागेश्वर धाम सिद्ध पीठ से ओरछा के लिए अपनी हिंदू एकता यात्रा की शुरुआत कर दी है। इस यात्रा का उद्देश्य जात-पात और भेदभाव को मिटाकर हिंदू समाज को एकजुट करना है।
मुस्लिम समुदाय भी बाबा बागेश्वर की यात्रा में
बाबा बागेश्वर बताया है, कि में यात्रा का समापन ओरछा में होगा, जहां लाखों हिंदू दोपहर 2 बजे एकत्र होकर जातिवाद और भेदभाव को समाप्त करने का संकल्प लेंगे। उन्होंने यह भी घोषणा की कि इसके बाद मथुरा को लेकर अगली यात्रा की जाएगी।
बाबा बागेश्वर ने मुस्लिम समुदाय के लोगों को यात्रा में शामिल होने का आमंत्रण दिया। उन्होंने कहा, अगर मुसलमान यात्रा में आना चाहें तो उनका स्वागत है, और नहीं आते तो भी कोई समस्या नहीं। उन्होंने अपने बयान में कहा कि भारत में रहने वाले मुसलमान और ईसाई कन्वर्टेड हैं और उनके लिए यह अपनी जड़ों की ओर लौटने का अवसर है।
बाबा Dhirendra Krishna Shastri ने कहा कि हिंदू समाज अब जागरूक हो रहा है और जात-पात से ऊपर उठकर एकजुट हो रहा है। उन्होंने जोर दिया कि भगवा ध्वज का लहराना इस बात का प्रतीक है कि हिंदू समाज एक है। उन्होंने कहा कि हिंदुओं और बेटियों पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ यह जागृति आवश्यक है, क्योंकि धर्म विरोधी ताकतें हिंदू समाज को कमजोर करने का प्रयास कर रही हैं।
जाति जनगणना विचार
जाति जनगणना पर अपनी राय व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि देश में केवल दो वर्ग होने चाहिए—अमीर और गरीब। उन्होंने मौजूदा सामाजिक असमानता की ओर इशारा करते हुए कहा कि अमीर और अमीर हो रहे हैं, जबकि गरीब और गरीब हो रहे हैं। उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार की कमी को युवाओं में असंतोष का प्रमुख कारण बताया।
त्याग और साधना का महत्व
पदयात्रा के दौरान चप्पल न पहनने पर बाबा ने कहा कि कुछ पाने के लिए त्याग करना जरूरी है। उन्होंने इसे एक साधना का हिस्सा बताया। उन्होंने कहा कि देश के हर व्यक्ति के दिल में भगवान के प्रति आस्था होनी चाहिए और जो बाधाएं खड़ी करना चाहें, उन्हें करने दीजिए—इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। यह यात्रा हिंदू समाज को एकजुट करने के साथ-साथ सामाजिक मुद्दों पर जागरूकता लाने का प्रयास है।