बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती पर दिल्ली में ऐतिहासिक बदलाव, Sarai Kale Khan Chowk का नाम हुआ Birsa Munda Chowk
Sarai Kale Khan Chowk : केंद्रीय शहरी विकास मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने घोषणा की अब से सराय काले खां आईएसबीटी चौक को बिरसा मुंडा चौक से जाना जाएगा...
Sarai Kale Khan Chowk : महान स्वतंत्रता सेनानी और जननायक भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के अवसर पर केंद्र सरकार ने दिल्ली के सराय काले खां आईएसबीटी चौक का नाम बदलकर बिरसा मुंडा चौक रखने की घोषणा की है। केंद्रीय शहरी विकास मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने इस नाम परिवर्तन की घोषणा की।
मनोहर लाल खट्टर ने की घोषणा
बिरसा मुंडा की जयंती पर पूरे देश में जनजातीय गौरव दिवस मनाया जा रहा है। केंद्र सरकार ने 2021 में इस दिन को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मान्यता दी थी, और इस अवसर पर देशभर में कई कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।
केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा, “अब आईएसबीटी बस स्टैंड के बाहर इस चौक को भगवान बिरसा मुंडा चौक के नाम से जाना जाएगा। इस नाम और प्रतिमा को देखकर न केवल दिल्ली के लोग बल्कि अंतरराष्ट्रीय बस स्टैंड पर आने वाले लोग भी बिरसा मुंडा के जीवन से प्रेरित होंगे।”
#WATCH | Delhi: Union Minister Manohar Lal Khattar says, “I am announcing today that the big chowk outside the ISBT bus stand here will be known after Bhagwan Birsa Munda. Seeing this statue and the name of that chowk, not only the citizens of Delhi but also the people visiting… pic.twitter.com/wc9Mvz4dN9
— ANI (@ANI) November 15, 2024
इससे पहले, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली में सराय काले खां के पास बांसेरा पार्क में भगवान बिरसा मुंडा की प्रतिमा का अनावरण किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी जनजातीय गौरव दिवस मनाने के लिए बिहार के जमुई में एक कार्यक्रम में शामिल होने जा रहे हैं।
बिरसा मुंडा को सम्मान
पीएम मोदी इस मौके पर बिरसा मुंडा के सम्मान में एक स्मारक सिक्का और डाक टिकट का अनावरण करेंगे, साथ ही आदिवासी समुदायों के उत्थान और ग्रामीण बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 6,640 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास करेंगे।
केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री चिराग पासवान ने पीएम मोदी के इस दौरे पर अपनी खुशी व्यक्त की। पासवान दो बार जमुई से लोकसभा के सदस्य रह चुके हैं। बिरसा मुंडा का जन्म 1875 में बिहार के उलिहातू में हुआ था। उन्होंने ब्रिटिश शासन और धर्मांतरण के विरुद्ध आदिवासी समुदाय को एकजुट किया और उनके आदर्श आदिवासियों के लिए प्रेरणास्रोत हैं।