UPPSC Student Protest: प्रयागराज में प्रदर्शन क्यों कर रहे हैं छात्र, क्या है नॉर्मलाइजेशन सिस्टम, जिसपर छिड़ा विवाद
आखिर क्यों प्रयागराज में प्रदर्शन कर रहे हैं छात्र? क्या है UPPSC अभ्यर्थियों की मांग? क्यों 1 दिन में परीक्षा देना चाहते हैं छात्र? पूरे मसले पर क्या है योगी सरकार का रुख? ये वो सवाल है जिनका जवाब आज हम जर्नलिस्ट इंडिया की इस रिपोर्ट में आपको देने वाले हैं. यूपी में उपचुनाव हैं, इस बीच प्रयागराज में UPPSC अभ्यर्थियों के प्रदर्शन ने विपक्षी दलों को बीजेपी सरकार को घेरने का मौका दे दिया है. ऐसे में सरकार भी ये नहीं चाहेगी कि चुनावी सीजन में वो किसी भी बखेड़े या विवाद का हिस्सा बने. यही कारण है कि छात्रों के गुस्से को जल्द से जल्द शांत करने की जद्दोजहद चल रही है.
प्रयागराज में छात्रों के प्रदर्शन पर राजनीति तेज
इसे लेकर सूबे के डिप्टी सीएम केशव मौर्च ने ट्वीट किया और लिखा-
इसके बाद 11 नवंबर दोपहर 4 बजे उनका एक और ट्वीट आता है, जिसमें वो अखिलेश यादव का नाम लेकर उनको नसीहत न देने की हिदायत देते हुए लिखते हैं-
दरअसल, प्रयागराज में जैसे ही छात्रों का हंगामा शुरू हुआ. समाजवादी पार्टी ने इस पूरे मुद्दे को लपक लिया और अपने चुनाव प्रचार का हिस्सा बना लिया. एक के बाद कई ट्वीट सपा के मुखिया अखिलेश यादव के X हैंडल से किए गए. निशाने पर बीजेपी रही. नाम लेकर सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी निशाना बनाया गया. इसमें से एक ट्वीट आपको पढ़कर सुनाते हैं- इसमें अखिलेश लिखते हैं-
छात्र प्रदर्शन क्यों कर रहे हैं, समझिए पूरी टाइमलाइन
अब ये तो हो गई राजनीति की बात…अब ये भी जान लेते हैं कि आखिर छात्र प्रदर्शन क्यों कर रहे हैं? इसकी पूरी टाइमलाइन समझाते हैं-
- उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग यानी UPPSC को दो परीक्षाएं करवानी थीं
- एक परीक्षा पीसीएस प्री और दूसरा आरओ-एआरओ की परीक्षा
- आयोग ने पीसीएस प्री के लिए 1 जनवरी को नोटिफिकेशन जारी किया
- जिसमें 220 पदों पर भर्ती की बात कही गई थी
- इसके लिए 17 मार्च को एग्जाम होना था, लेकिन कैंसिल हो गया
- फिर नई तारीख आई 27 अक्टूबर, जिसके लिए 3 जून को नोटिफिकेशन आया, वो भी कैंसिल हो गया
- फिर 5 नवंबर को नोटिफिकेशन आया, जिसमें परीक्षा दिसंबर में करवाने की बात कही गई
सारा बवाल इसके बाद ही शुरू हुआ. दरअसल नए शेड्यूल के हिसाब से PCS-प्री की परीक्षा का आयोजन दो पालियों यानी 7 और 8 दिसंबर को किया जाना है. इस नोटिफिकेशन के बाद से छात्रों का प्रदर्शन शुरू हुआ, क्योंकि छात्रों का कहना है कि एग्जाम एक ही दिन में होना चाहिए, दो दिन की जरूरत नहीं है. साथ ही, विवाद का एक कारण मानकीकरण भी है, जिसका मतलब है नॉर्मलाइजेशन. RO-ARO एग्जाम में भी यही दिक्कत देखने को मिली. 11 फरवरी को इसका एग्जाम हुआ, लेकिन पेपर लीक के आरोप के बाद परीक्षा निरस्त हो गई. अब ये परीक्षा 22, 23 दिसंबर को होनी है. यहां पर भी विवाद नॉर्मलाइजेशन सिस्टम का है.
ये नॉर्मलाइजेशन सिस्टम है क्या?
कोई की एग्जाम पेपर कितना कठिन है, इसके हिसाब से Marks निर्धारित किए जाते हैं. इसे ही नार्मलाइजेशन सिस्टम कहा जाता है. इस सिस्टम के माध्यम से परीक्षा में मिले अंकों के आधार पर कैंडिडेट्स का प्रतिशत स्कोर यानी (percentile) निकाला जाता है. दरअसल,परीक्षा के हर पेपर के लेवल में थोड़ा-बहुत अंतर हो सकता है. इसी अंतर को खत्म करने के लिए ये सिस्टम लागू किया जाता है, लेकिन यहां विवाद का कारण ही ये सिस्टम है. दरअसल अभी तक आयोग की वेबसाइट पर इस सिस्टम को लेकर कोई आधिकारिक जानकारी नहीं है, लेकिन आयोग का एक नोटिफिकेशन जरूर सर्कुलेट हो रहा है…जिसमें इसका फॉर्मूला बताया गया है. ये फॉर्मूला है-
जिस परीक्षार्थी के जितने नंबर आए हैं, उतने या उससे कम नंबर जितने छात्रों के आए हैं, उनकी संख्या में कुल परीक्षा देने पहुंचे छात्रों की संख्या का भाग दिया जाएगा और फिर 100 से गुणा करके पर्सेंटाइल निकाला जाएगा.
नॉर्मलाइजेशन सिस्टम पर विवाद?
इस नॉर्मलाइजेशन सिस्टम को लेकर प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने कहना है कि ये फॉर्मूला ही विवाद की असली वजह है. छात्रों का कहना है कि दो शिफ्ट में परीक्षा होने से नॉर्मलाइजेशन होगा, जिसके चलते अच्छे स्कोर करने वाले छात्रों को नुकसान होगा, मतलब कि दो शिफ्ट में पेपर होने के वजह से एक शिफ्ट में सरल और दूसरी शिफ्ट में कठिन प्रश्न होंगे. जिसके कारण आयोग नॉर्मलाइजेशन करने का काम करेगा. ऐसा होने से अच्छे छात्रों के छटने की संभावना रहेगी. साथ ही भ्रष्टाचार भी बढ़ेगा. इसी वजह से छात्रों का प्रदर्शन हो रहा है..वैसे इसपर क्या है आपका तर्क जर्नलिस्ट इंडिया के साथ शेयर करें अपनी राय.