नई दिल्ली: भारत में पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को लेकर चर्चा और विवाद अपने चरम पर हैं. सोशल मीडिया के गलत इस्तेमाल से अराजकता फैलाए जाने या फिर Whatsapp की कथित नई पॉलिसी को लेकर देश में विरोध. किसान आंदोलन और 26 जनवरी की लालकिला हिंसा के बाद से Twitter और भारत सरकार के बीच विवाद लगातार बढ़ता जा रहा है. इसी बीच गुरुवार को केन्द्रीय कानून मंत्री ने सोशल मीडिया को लेकर बड़ा बयान राज्यसभा में दिया है.
राज्यसभा में केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कड़े शब्दों में कहा कि हम सोशल मीडिया के सभी प्लेटफॉर्म्स का सम्मान करते हैं, क्योंकि सोशल मीडिया की वजह से ही सरकार की तमाम योजनाएं लोगों तक पहुंची हैं. लोगों में जागरूकता लाने का ये एक सशक्त माध्यम है, लेकिन अगर इन प्लेटफॉर्म्स के जरिए लोगों के बीच हिंसा और गलत प्रचार को बढ़ावा मिलता है तो कड़ी कार्रवाई भी की जा सकती है.
सोशल मीडिया के जरिये फर्जी न्यूज़, हिंसा, अराजकता और देश विरोध कंटेंट को अगर फैलाया जता है तो फिर कानूनी अपना काम करेगा और कड़ा एक्शन लिया जाएगा. देश में पिछले कुछ समय से सोशल मीडिया के जरिए अराजकता का माहौल बनाया जा रहा है. किसान आंदोलन के नाम पर खालिस्तान का एजेंडा ट्विटर के जरिये देश में तेजी से फैलाया जा रहा है और देश की एकता और अखंडता को चोट पहुँचाने की कोशिश की जा रही है.
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ऐसे में जब सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म से इस प्रकार के कंटेंट को रोकने की मांग की गयी तो ट्विटर ने कथित रूप से अभिव्यक्ति की आजादी की बात कहकर सरकार के आदेश को धता बता दिया. जिसके बाद ट्विटर और सरकार के बीच विवाद बढ़ गया है. फिलहाल सरकार के आदेशों की अवमानना को लेकर ट्विटर अधिकारियों को डर सता रहा है कि किसी भी वक्त उनकी गिरफ्तारी हो सकती है.
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इतना ही नहीं इस मामले को लेकर ट्विटर देश में कोर्ट का भी दरवाजा खटखटा सकता है, लेकिन सरकारी सूत्रों की माने तो देश विरोध और खालिस्तान का एजेंडा चलाने वाले हैंडल को ब्लॉक करना ही पड़ेगा.