लोकतंत्र पर संकट? मल्लिकार्जुन खरगे ने सभापति पर लगाए ये बड़े आरोप

राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ पर विपक्ष ने पक्षपात और शक्ति के दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए अविश्वास प्रस्ताव पेश किया है।

Jagdeep Dhankhar : राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ पर विपक्ष ने पक्षपात और शक्ति के दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए अविश्वास प्रस्ताव पेश किया है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने इस संबंध में एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट साझा किया, जिसमें उन्होंने 10 बिंदुओं में सभापति द्वारा किए गए कथित पक्षपात और नियमों के उल्लंघन की ओर इशारा किया।

लोकतंत्र में सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों जरूरी

खरगे ने लिखा कि लोकतंत्र सत्तापक्ष और विपक्ष के दो पहियों पर चलता है। संसद में सभी सांसदों को अपनी बात रखने का अधिकार है, लेकिन सभापति विपक्ष को बार-बार टोकते हैं और उन्हें अपनी बात पूरी करने का मौका नहीं देते। इसके विपरीत, सत्ता पक्ष के सदस्यों और मंत्रियों को बिना किसी बाधा के अपनी बात रखने की छूट दी जाती है। विपक्ष द्वारा प्रस्तुत मीडिया रिपोर्ट्स को प्रमाणित करने की मांग की जाती है, लेकिन सत्ता पक्ष के सदस्यों के दावों को बिना किसी सवाल के स्वीकार किया जाता है।

सदस्यों का निलंबन और मनमानी निर्णय

खरगे ने आरोप लगाया कि सभापति ने अपने अधिकारों का दुरुपयोग करते हुए कई बार विपक्षी सांसदों को थोक में निलंबित किया। कुछ मामलों में, सदस्यों का निलंबन सत्र समाप्त होने के बाद भी जारी रहा, जो संसदीय परंपराओं के विपरीत था। इसके अलावा, संसद टीवी के कवरेज में भी पक्षपात के आरोप लगाए गए, जहां विपक्ष की गतिविधियों को ब्लैकआउट करने और सत्ता पक्ष को अधिक कवरेज देने का दावा किया गया।

संसदीय परंपराओं का हनन

खरगे ने यह भी कहा कि सभापति ने संसदीय परंपराओं को दरकिनार करते हुए कई महत्वपूर्ण नियमों का पालन नहीं किया। विपक्ष के भाषणों के हिस्सों को मनमाने ढंग से रिकॉर्ड से हटाया गया, जबकि सत्ता पक्ष की विवादास्पद टिप्पणियां रिकॉर्ड में बनी रहीं। रूल 267 के तहत किसी भी चर्चा की अनुमति नहीं दी गई और संसद टीवी के कवरेज के नियम बिना समिति की मंजूरी के बदल दिए गए।

मनमाने फैसलों का आरोप

खरगे ने कहा कि कई महत्वपूर्ण फैसले बिना किसी विचार-विमर्श के लिए गए, जैसे मूर्तियों का स्थान बदलना, वॉच एंड वॉर्ड की व्यवस्था में बदलाव, और समितियों की बैठकें आयोजित किए बिना नियमों में परिवर्तन।

विपक्ष को स्पष्टीकरण का मौका नहीं

खरगे ने यह भी आरोप लगाया कि सभापति ने मंत्रियों के वक्तव्यों पर स्पष्टीकरण मांगने की परंपरा को समाप्त कर दिया, जो कि पहले राज्यसभा में एक नियमित प्रक्रिया थी।

विपक्ष का कहना है कि ये सभी घटनाएं लोकतंत्र और संसदीय परंपराओं को कमजोर करने का प्रयास हैं। सभापति की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए उन्होंने यह मुद्दा उठाया है।

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