Mahakumbh 2025 : महाकुंभ के दौरान नागा साधुओं की रहस्यमयी और अद्भुत दुनिया हमेशा से लोगों के बीच आकर्षण और जिज्ञासा का कारण रही है। कड़कड़ाती ठंड में निर्वस्त्र नागा साधुओं को देखना और उनका ठंडे पानी से स्नान करना किसी आश्चर्य से कम नहीं है। प्रयागराज में महाकुंभ का आरंभ अब बस कुछ ही दिनों में होने वाला है, और नागा साधुओं के अखाड़े पहले ही वहां पहुंच चुके हैं। इनमें से प्रमोद गिरी महाराज, अपने कठोर हठ योग और विशेष स्नान परंपरा के चलते श्रद्धालुओं के बीच चर्चा का विषय बने हुए हैं।
कठोर साधना
प्रमोद गिरी महाराज हर सुबह 4 बजे ठंडे पानी से स्नान करते हैं, जो उनकी साधना का एक अहम हिस्सा है। इस स्नान की खासियत यह है कि रोजाना पानी के घड़ों की संख्या बढ़ती जाती है। शुरुआत में 51 घड़ों से शुरू हुई यह प्रक्रिया धीरे-धीरे 108 घड़ों तक पहुंचेगी। 7 जनवरी को उन्होंने 61 घड़ों के पानी से स्नान किया। महाराज का कहना है कि यह तपस्या उनके गुरु द्वारा दी गई दीक्षा का हिस्सा है और इसका उद्देश्य मानव कल्याण के लिए है।
प्रमोद गिरी बताते हैं कि नागा साधुओं का मुख्य कर्तव्य कठोर तपस्या करना और सनातन धर्म की सेवा करना है। उनका विश्वास है कि जब भी सनातन धर्म संकट में होगा, वे अपनी पूरी ऊर्जा और जीवन समर्पित करने के लिए तत्पर रहेंगे। शाही स्नान के दिन यह साधना और भी कठिन हो जाती है, क्योंकि घड़ों से स्नान करने के बाद उन्हें कुंभ के पवित्र जल में भी स्नान करना होता है।
हठ योग की गहराई
हठ योग का उद्देश्य शरीर और मन की ऊर्जा को संतुलित करना है। इसमें “ह” सूर्य (ऊर्जा) का और “ठ” चंद्रमा (शीतलता) का प्रतीक है। इन दोनों शक्तियों के संतुलन की प्रक्रिया को ही हठ योग कहते हैं।
आज के समय में हठ योग का मतलब केवल बलपूर्वक इंद्रियों को वश में करना नहीं है, बल्कि इसमें आसन, प्राणायाम, ध्यान और समाधि जैसे अभ्यास भी शामिल होते हैं। यह प्रक्रिया नागा साधुओं को अपनी इंद्रियों पर नियंत्रण पाने और अद्भुत सिद्धियां प्राप्त करने में सहायक होती है।
प्रमोद गिरी महाराज का कठोर हठ योग और उनकी तपस्या महाकुंभ में श्रद्धालुओं और भक्तों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी हुई है। उनके द्वारा किया जा रहा यह तप सनातन धर्म की शक्ति और इसकी परंपराओं की गहराई को दर्शाता है।