Cloud burst in Uttarkashi : उत्तरकाशी में बादल फटा या फिर कुछ और? तबाही, धराली गांव का दर्दनाक सच

Dehradun Post: 6 अगस्त 2025, उत्तरकाशी अपडेट

Cloud burst in Uttarkashi : उत्तराखंड का शांत और सुरम्य हर्षिल वैली का धराली गांव आज त्रासदी से बर्बाद हो गया है। 5 अगस्त 2025 को दोपहर के वक्त, अचानक उत्तरकाशी जिले के धराली क्षेत्र में बादल फटने के चंद सेकंडों के बाद ही उमड़े जल सैलाब ने पूरे गांव को तहस-नहस कर दिया.

आखिर अचानक ऐसा क्या हुआ था 5 अगस्त 2025 को?

5 अगस्त 2025 मंगलवार के दिन दोपहर करीब 1 बजकर 45 मिनट पर ( समय उत्तरकाशी के लोगों से बातचीत के बाद पता चला है) हर्षिल वैली में अचानक तेज़ गर्जना के साथ बादल फटा। इसके तुरंत बाद खीर गंगा नदी एकाएक उफान पर आ गई और पानी के साथ भारी मलबा, पत्थर, पेड़ और कीचड़ गांव की ओर बहाकर ले जाने लगी. इस प्राकृतिक जलप्रलय ने न सिर्फ घर और दुकानें बहा दी, बल्कि पूरे क्षेत्र की प्राकृतिक संरचना को ही बदल कर रख दिया.

UttarkashiCloudburst

कितना हुआ जानमाल का नुकसान

अभी मिल रहे सरकारी आंकडों के हिसाब से हादसे में 5 लोगों के मरने की पुष्टि हुई है, जबकि 50 से 70 के बीच लोगों के लापता होने की खबर है. वहीं 130 से अदिक लोगों को हादसे के बाद बचाया गया है. इस पूरे हादसे में 8 से अधिक सेना के जवानों के भी लापता होने की भी खबरें मिल रही हैं.इस पूरे हादसे में 35 से अदिक घर, होटल और दुकानें बताई जा रही हैं.

राहत एवं बचाव अभियान

घटना के तुरंत बाद ही 10 मिनट बाद के अंतराल में भारतीय सेना ने, NDRF और SDRF के जवानों ने मौके पर पहुंचकर मोर्चा संभाल लिया। जिसके बाद राहत टीमों ने

  • मलबे में दबे दर्जनों लोगों को बाहर निकाला
  • एक अस्थायी पैदल पुल तैयार किया ताकि गांव से बाहर निकासी संभव हो
  • हेलिकॉप्टरों को स्टैंडबाय पर रखा गया, लेकिन मौसम के चलते उड़ानें बाधित रहीं

सेना, राज्य आपदा बल और स्वयंसेवी संगठन गांव में मलबा हटाने, लापता लोगों की खोज और राहत सामग्री पहुंचाने का काम कर रहे हैं

Uttarkashi CM Dhami

कैसे घटी घटना क्या ये बादल फटना ही था या फिर कुछ और?

इस पूरे मामले पर हालांकि अलग-अलग प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. आसपास के लोग और प्रशासन जहां इसे “बादल फटना” बता रही है तो वहीं, कुछ विशेषज्ञ इस पर सवाल उठा रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि क्षेत्र में बहुत भारी बारिश दर्ज नहीं हुई। कुछ भू-वैज्ञानिकों का मानना है कि ये घटना ग्लेशियर यानी झील फटने (Glacial Lake Outburst Flood – GLOF) का परिणाम हो सकती है। यह अंदेशा खासकर तब बढ़ा जब आसपास की झीलों और नदियों में जलस्तर असामान्य रूप से एकाएक बढ़ा.

सरकार की प्रतिक्रिया और राहत राशि

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने घटना स्थल का हवाई सर्वेक्षण किया और ₹20 करोड़ की तत्काल राहत राशि जारी की।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हादसे पर गहरा शोक जताया और सभी संभावित सहायता का आश्वासन दिया।

उत्तरकाशी में बादले फटने के बाद मची तबाही पर पीएम मोदी की नजर

प्रभावितों के लिए जारी किए गए हेल्पलाइन नंबर

01374 222126

01374 222722

9456556431

क्या हैं भविष्य की चिंता और क्या हम तैयार हैं?

उत्तराखंड के पहाड़ी इलाके पहले ही 2013 की केदारनाथ आपदा और 2021 की ऋषि गंगा त्रासदी जैसे हादसे झेल चुके हैं। इस बार की घटना ने फिर वही सवाल खड़ा कर दिया है:

क्या हमारा आपदा प्रबंधन तंत्र पर्याप्त है?

क्या पर्यावरण को दरकिनार कर बनाए गए होटल और सड़कें इस नुकसान के लिए जिम्मेदार हैं?

क्या जलवायु परिवर्तन का असर अब हिमालय पर साफ दिखने लगा है?

क्या है ज़मीनी हकीकत औऱ क्या कहती हैं मानवीय कहानियां

एक स्थानीय दुकानदार अपनी दुकान के बाहर बैठा चाय पी रहा था, अचानक मलबे की धारा आई और वो बह गया। उसका शव अगले दिन एक पेड़ में उलझा मिला।

एक पर्यटक दंपती, जो घूमने पर आए थे, अभी भी लापता हैं।

एक 6 वर्षीय बच्चा, जिसे मलबे से सुरक्षित निकाला गया, आज भी सदमे में है और बोल नहीं पा रहा।

उत्तराखंड के उत्तरकाशी में बादल फटने का तस्वीरें

अगला कदम: क्या करें?

सरकार ने राहत और पुनर्वास के निर्देश दिए हैं, लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है कि:

पुनर्निर्माण के साथ स्थायी पुनर्वास योजना बनाई जाए

पर्यटन और निर्माण पर नियमों को सख्ती से लागू किया जाए

गांव को एक “आपदा संवेदनशील क्षेत्र” घोषित किया जाए

इस पूरी आपदा से क्या मिलती है सीख ?

धराली में जो हुआ वह सिर्फ एक घटना नहीं, यह एक सिस्टम पर सवाल है — हमारी योजना, हमारी तैयारियों और हमारे विकास के मॉडल पर। लोगों की जान सिर्फ एक प्राकृतिक हादसे में नहीं गई, बल्कि हमारी तैयारियों की कमी ने भी इसमें भूमिका निभाई।

अब समय है कि हम सिर्फ मलबा न हटाएं, बल्कि सोच भी बदलें।

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