Surya Grahan : साल 2025 का आखिरी सूर्य ग्रहण: समय, रहस्य और महत्व

Surya Grahan September 2025 : आकाश में होने वाले ग्रहण हमेशा से ही मानवता के लिए कौतूहल और रहस्य का विषय रहे हैं। साल 2025 अब अपने अंतिम चरण में है और इसी वर्ष का आखिरी सूर्य ग्रहण 21 सितंबर की रात को होगा। यह ग्रहण भले ही भारत में दिखाई न दे, लेकिन इसका महत्व वैज्ञानिक, खगोलशास्त्रीय और सांस्कृतिक दृष्टि से बेहद खास है।

ग्रहण का समय (भारतीय मानक समय अनुसार)

  • ग्रहण की शुरुआत – 21 सितंबर, रात 10:59 बजे
  • ग्रहण का मध्य (सबसे अधिक प्रभाव) – 22 सितंबर, रात 1:11 बजे
  • ग्रहण का समापन – 22 सितंबर, सुबह 3:23 बजे

यह एक आंशिक सूर्य ग्रहण है यानी चंद्रमा सूर्य को पूरी तरह नहीं बल्कि आंशिक रूप से ढकेगा।

कहां दिखाई देगा ग्रहण?

  • भारत में यह ग्रहण दृश्यमान नहीं होगा क्योंकि उस समय सूर्य अस्त हो चुका होगा।
  • यह अद्भुत दृश्य मुख्य रूप से ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैंड, अंटार्कटिका और दक्षिण प्रशांत द्वीपों में देखा जा सकेगा।
  • जिन इलाकों में ग्रहण दिखाई देगा वहाँ सूर्य लगभग 80 से 85% तक ढका हुआ नजर आएगा।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण

  • सूर्य ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच आकर सूर्य की रोशनी को कुछ समय के लिए ढक देता है।
  • इस ग्रहण का “magnitude” लगभग 0.85 है, यानी यह एक गहरा आंशिक ग्रहण होगा।
  • वैज्ञानिक इसे एक बेहतरीन मौका मानते हैं सूर्य के बाहरी वायुमंडल (कोरोना) और प्रकाश के व्यवहार का अध्ययन करने के लिए।

धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व

  • भारतीय परंपरा में ग्रहण को विशेष आध्यात्मिक घटना माना जाता है।
  • चूंकि यह ग्रहण भारत से दिखाई नहीं देगा, इसलिए यहां सुतक काल लागू नहीं होगा।
  • फिर भी कई लोग इस समय ध्यान, प्रार्थना और मंत्र जाप को शुभ मानते हैं।

सुरक्षा सुझाव

  1. सूर्य ग्रहण को नंगी आंखों से कभी न देखें।
  2. केवल ISO प्रमाणित सोलर चश्मा या विशेष फ़िल्टर वाले उपकरण का उपयोग करें।
  3. साधारण धूप का चश्मा, मोबाइल कैमरा या दूरबीन से सीधे सूर्य को देखना खतरनाक हो सकता है।
  4. सुरक्षित विकल्प है — पिनहोल प्रोजेक्टर या लाइव स्ट्रीमिंग के माध्यम से ग्रहण का आनंद लेना।

क्यों है यह ग्रहण खास?

  • यह 2025 का आखिरी सूर्य ग्रहण है, यानी खगोल प्रेमियों के लिए साल का अंतिम मौका।
  • यह ग्रहण सितंबर विषुव (Equinox) के करीब पड़ रहा है, जब दिन और रात बराबर होते हैं।
  • दक्षिणी गोलार्ध के लोगों के लिए यह न केवल खगोलीय बल्कि एक अद्भुत दृश्य अनुभव भी होगा।

साल का यह आखिरी सूर्य ग्रहण भारत से न सही, लेकिन विश्व के दूसरे हिस्सों से एक अद्भुत खगोलीय घटना के रूप में दर्ज होगा। यह हमें याद दिलाता है कि अंतरिक्ष कितना विशाल है और ब्रह्मांड की हर घटना का अपना वैज्ञानिक और सांस्कृतिक महत्व होता है।

 

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