Mahakumbh 2025 : 6 शाही स्नानों के साथ, देश-विदेश से उमड़ेगा श्रद्धालुओं का महासागर, जानें कितने तरह के होते है कुंभ

Mahakumbh 2025 : कुंभ मेला चार प्रकार का होता है, कुंभ, अर्धकुंभ, पूर्ण कुंभ और महाकुंभ। इनका आयोजन ग्रहों की स्थिति और समय के आधार पर किया जाता है। हर कुंभ मेला अपने...

Mahakumbh 2025 : महाकुंभ 2025 का आयोजन प्रयागराज में गंगा और यमुना के संगम पर 13 जनवरी से 26 फरवरी तक किया जाएगा। यह दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन माना जाता है और 45 दिनों तक चलने वाला यह मेला हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए विशेष महत्व रखता है। इस महाकुंभ के दौरान छह शाही स्नान होंगे और अनुमान है कि देश-विदेश से 40 करोड़ से अधिक श्रद्धालु इसमें हिस्सा लेंगे।

पिछली बार प्रयागराज में अर्धकुंभ का आयोजन 2019 में हुआ था, जबकि 2013 में यहां आखिरी बार महाकुंभ का आयोजन किया गया था।

कुंभ मेले का महत्व और प्रकार

कुंभ मेला चार प्रकार का होता है, कुंभ, अर्धकुंभ, पूर्ण कुंभ और महाकुंभ। इनका आयोजन ग्रहों की स्थिति और समय के आधार पर किया जाता है। हर कुंभ मेला अपने विशेष आध्यात्मिक और ज्योतिषीय महत्व के लिए जाना जाता है।

Mahakumbh 2025 का महत्व

2025 का महाकुंभ, 12 साल बाद प्रयागराज में आयोजित किया जा रहा है। यह आयोजन 13 जनवरी से आरंभ होगा और 26 फरवरी को समाप्त होगा। महाकुंभ का आयोजन न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टि से भी अद्वितीय है।

कहा जाता है कि समुद्र मंथन के दौरान अमृत प्राप्त करने के लिए देवताओं और दानवों के बीच लगातार 12 दिनों तक संघर्ष चला। दिलचस्प बात यह है कि देवताओं के ये 12 दिन, मनुष्यों के लिए 12 वर्षों के बराबर माने गए। इसी कारण कुंभ मेला भी 12 वर्षों के अंतराल पर आयोजित होता है।

इन 12 कुंभों में से चार कुंभ धरती पर आयोजित किए जाते हैं, जबकि शेष आठ देवलोक में होते हैं। अमृत कलश की रक्षा के दौरान शनि, चंद्र और सूर्य जैसे ग्रहों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। तब से ही, राशियों पर इन ग्रहों का प्रभाव देखा जाता है, और जब इन ग्रहों की विशेष स्थिति बनती है, तब कुंभ मेले का आयोजन होता है।

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