Noida Authority News : सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा अथॉरिटी द्वारा किसानों को “अत्यधिक मुआवजा” दिए जाने के मामले में सख्त रुख अपनाते हुए जांच के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने इस संदिग्ध लेनदेन की निष्पक्ष जांच के लिए तीन सदस्यीय विशेष जांच दल (SIT) गठित करने का निर्देश दिया है। इस आदेश से नोएडा अथॉरिटी की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठ खड़े हुए हैं।
क्या है पूरा मामला?
पिछले कुछ वर्षों में नोएडा क्षेत्र में भूमि अधिग्रहण के मामलों में यह देखा गया कि कुछ किसानों को तय नियमों से अधिक मुआवजा दिया गया। पहले से गठित SIT की रिपोर्ट में इस बात के संकेत मिले कि नोएडा अथॉरिटी के अधिकारियों और कुछ चुनिंदा किसानों/भू मालिकों के बीच मिलीभगत के चलते सरकार को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा
“सरकारी तंत्र का इस प्रकार दुरुपयोग जनहित के साथ विश्वासघात है। इस मामले की गहराई से जांच ज़रूरी है।”
कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि इस मामले में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए CVO (Chief Vigilance Officer) की नियुक्ति और एक नागरिक सलाहकार समिति (Citizen Advisory Board) का गठन किया जाना चाहिए।
कौन-कौन होगा SIT की जांच टीम में शामिल
सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार गठित होने वाली SIT में
एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी (DGP स्तर)
आर्थिक अपराध शाखा (Representatives of Economic Offences Wing) (EOW) के प्रतिनिधि
फॉरेंसिक और लेखा विशेषज्ञ (Forensic and accounting experts)
इनकी रिपोर्ट सीधे सुप्रीम कोर्ट को सौंपी जाएगी।
नए प्रोजेक्ट्स पर रोक
कोर्ट ने यह भी आदेश दिया है कि नोएडा अथॉरिटी तब तक कोई नया निर्माण/विकास कार्य शुरू नहीं कर सकती जब तक उसे पर्यावरणीय मंजूरी (EIA) और ग्रीन ट्रिब्यूनल की अनुमति नहीं मिलती।
नोएडा अथॉरिटी पर लगे ये आरोप केवल भ्रष्टाचार की कहानी नहीं बयां करते, बल्कि यह दर्शाते हैं कि किस प्रकार सार्वजनिक संसाधनों का दुरुपयोग कर कुछ लोग लाभ उठाते हैं। सुप्रीम कोर्ट का यह कदम शासन में पारदर्शिता, जवाबदेही और विश्वास बहाल करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद नोएडा एथॉरिटी में हलचल बढ़ गई है.
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