RSS News : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) अपने स्थापना के 100 वर्ष पूरे होने के अवसर पर संगठनात्मक ढांचे में बड़े बदलाव की तैयारी कर रहा है. संघ से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, आने वाले समय में प्रांत प्रचारक की भूमिका को समाप्त या पुनर्परिभाषित किया जा सकता है। इसे संघ के सौ साल के इतिहास में एक महत्वपूर्ण और दूरगामी परिवर्तन के तौर पर देखा जा रहा है.
अब तक संघ की कार्यप्रणाली में प्रांत प्रचारक की भूमिका बेहद अहम मानी जाती रही है। वे संगठन और विभिन्न अनुषांगिक इकाइयों के बीच समन्वय की जिम्मेदारी निभाते रहे हैं। लेकिन बदलते समय, सामाजिक परिस्थितियों और संगठन के विस्तार को देखते हुए संघ अपनी संरचना को अधिक लचीला और आधुनिक बनाने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है।
क्यों किया जा रहा है बदलाव
सूत्रों के अनुसार, संघ का मानना है कि अब कार्यशैली को विकेंद्रीकृत करने और सामूहिक नेतृत्व को अधिक मजबूत करने की आवश्यकता है। इसके तहत जिम्मेदारियों का पुनर्वितरण किया जाएगा, ताकि संगठन जमीनी स्तर पर और अधिक प्रभावी ढंग से काम कर सके।
संघ नेतृत्व का यह भी मानना है कि पिछले सौ वर्षों में संघ ने देशभर में मजबूत सामाजिक आधार तैयार किया है और अब नए दौर की चुनौतियों के अनुसार ढांचे में बदलाव स्वाभाविक है।
विचारधारा में नहीं होगा बदलाव
हालांकि, संगठनात्मक बदलाव के बावजूद संघ की मूल विचारधारा, उद्देश्य और राष्ट्रसेवा का संकल्प पहले की तरह ही बना रहेगा। संघ से जुड़े वरिष्ठ पदाधिकारियों का कहना है कि यह बदलाव किसी व्यक्ति या पद के खिलाफ नहीं, बल्कि समय की मांग के अनुरूप व्यवस्था को सशक्त बनाने के लिए है।
भविष्य की रणनीति
RSS के 100 वर्ष पूरे होना केवल एक पड़ाव नहीं, बल्कि अगले 25 वर्षों की दिशा तय करने का अवसर माना जा रहा है। संगठन अब युवाओं, समाज के विभिन्न वर्गों और तकनीक के बेहतर उपयोग पर ज्यादा जोर देने की रणनीति बना रहा है।
कुल मिलाकर, प्रांत प्रचारक पद से जुड़ा यह प्रस्तावित बदलाव संघ के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ सकता है, जो आने वाले समय में उसके कार्य और प्रभाव को नई दिशा देगा।
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