Mahakumbh 2025 : संगम नगरी में रुद्राक्ष बाबा का चमत्कारिक रूप, श्रद्धालुओं में बढ़ा आकर्षण, देखें लुक

Mahakumbh 2025 : बाबा गीतानंद गिरी, जो सवा दो लाख रुद्राक्ष धारण किए हुए हैं, सनातन धर्म की सेवा और तपस्या की एक मिसाल हैं। वे श्री पंचदशनाम आवाहन अखाड़े की हरिद्वार शाखा के सचिव भी हैं।

Mahakumbh 2025 : प्रयागराज में महाकुंभ 2025 की तैयारियां जोरों पर हैं, और इस भव्य आयोजन की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है। आध्यात्म और आस्था के इस महासंगम में देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु प्रयागराज का रुख करेंगे। महाकुंभ न केवल इसकी भव्यता बल्कि यहां मौजूद साधु-संतों और उनकी अनोखी तपस्याओं के लिए भी प्रसिद्ध होगा। इन चर्चाओं के केंद्र में एक विशिष्ट संत, बाबा गीतानंद गिरी, विशेष रूप से आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं।

बाबा गीतानंद गिरी, जो सवा दो लाख रुद्राक्ष धारण किए हुए हैं, सनातन धर्म की सेवा और तपस्या की एक मिसाल हैं। वे श्री पंचदशनाम आवाहन अखाड़े की हरिद्वार शाखा के सचिव भी हैं। बाबा ने 2019 के प्रयागराज कुंभ में 12 वर्षों तक प्रतिदिन सवा लाख रुद्राक्ष धारण करने का संकल्प लिया था। आज उनके शरीर पर लगभग 2 लाख रुद्राक्ष हैं, जिनका कुल वजन 45 किलो से अधिक है। बाबा बताते हैं कि उनका यह संकल्प हिंदू सनातन धर्म की रक्षा और उसकी आवाज को बुलंद करने के उद्देश्य से लिया गया है।

बाबा का संकल्प और तपस्या

बाबा गीतानंद गिरी ने बताया कि शंकर भगवान का प्रिय रुद्राक्ष धारण करना उनके प्रति समर्पण और आराधना का प्रतीक है। बाबा का कहना है, “हिंदू सनातन धर्म की सेवा हमारा कर्तव्य है। हमने यह कठिन तपस्या धर्म की रक्षा और उसके प्रचार-प्रसार के लिए की है। 2019 में हमने यह संकल्प लिया, और अब तक 6 वर्षों का समय बीत चुका है। इस दौरान हमारा रुद्राक्ष का वजन 45 किलो तक पहुंच चुका है, और अभी संकल्प पूरा होने में 6 साल और बाकी हैं।”

बाबा बताते हैं कि इतने भारी रुद्राक्ष पहनने के बावजूद उनकी दिनचर्या तपस्या और अनुशासन पर आधारित है। उन्हें दिन में 12 घंटे अत्यधिक सतर्कता और संयम के साथ बिताने पड़ते हैं। बाबा का यह अनूठा संकल्प सनातन धर्म की शक्ति और भक्ति का अद्वितीय उदाहरण है।

महाकुंभ में आकर्षण का केंद्र

महाकुंभ 2025 में बाबा गीतानंद गिरी जैसे कई और संत अपनी अनोखी तपस्याओं और व्रतों से श्रद्धालुओं का ध्यान आकर्षित करेंगे। हालांकि, हर साधु और संत का उद्देश्य एक ही है—सनातन धर्म की रक्षा और उसके मूल्यों का प्रचार-प्रसार। महाकुंभ न केवल एक धार्मिक आयोजन होगा बल्कि आस्था, भक्ति, और तपस्या की अद्भुत कहानियों का संगम भी प्रस्तुत करेगा।

Mahakumbh 2025
Comments (0)
Add Comment