PM Modi: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कुवैत दौरे के अंतिम दिन रविवार यानी ( 22 दिसंबर ) को गार्ड ऑफ ऑनर के साथ सम्मानित किया गया है। इस अवसर पर कुवैत के अमीर शेख मेशाल अल-अहमद अल-जबर अल-सबा ने पीएम मोदी का भव्य स्वागत किया। यह ऐतिहासिक दौरा 43 वर्षों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली यात्रा है। पीएम मोदी ने कुवैत के अमीर के विशेष निमंत्रण पर यह दौरा किया, जिसमें दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने पर जोर दिया गया।
भारत-कुवैत के ऐतिहासिक संबंध
प्रधानमंत्री मोदी ने इस यात्रा के दौरान भारत और कुवैत के गहरे ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंधों का उल्लेख करते हुए कहा कि दोनों देश तेल और गैस के क्षेत्र में नए अवसरों की खोज कर अपने पारंपरिक व्यापारिक संबंधों को रणनीतिक साझेदारी में बदलने के लिए तैयार हैं। उन्होंने ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देने की दिशा में भी चर्चा की।
ऊर्जा क्षेत्र में साझेदारी के नए आयाम
कुवैत, जो भारत का छठा सबसे बड़ा कच्चा तेल और चौथा सबसे बड़ा एलपीजी आपूर्तिकर्ता है, जिसने ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग की असीम संभावनाओं को रेखांकित किया। पीएम मोदी ने बताया कि भारत, जो दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऊर्जा और तेल उपभोक्ता है, 2025 तक 300 अरब अमेरिकी डॉलर के पेट्रोकेमिकल उद्योग के साथ इस क्षेत्र में सहयोग को और बढ़ा सकता है। उन्होंने इस साझेदारी को न केवल आर्थिक संबंधों का आधार, बल्कि साझा समृद्धि की दिशा में एक प्रेरक शक्ति के रूप में वर्णित किया।
शांति प्रयासों और सहयोग पर जोर
कुवैत न्यूज एजेंसी (KUNA) को दिए गए एक साक्षात्कार में प्रधानमंत्री मोदी ने गाजा और यूक्रेन में शांति बहाल करने की दिशा में भारत की प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने बातचीत और दो-राष्ट्र समाधान के माध्यम से फिलिस्तीन के लिए एक स्वतंत्र और सक्षम राज्य की स्थापना का समर्थन किया।
खाड़ी सहयोग परिषद का महत्व
प्रधानमंत्री ने खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) को भारत के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण बताया। इस क्षेत्र में भारत के लगभग 90 लाख प्रवासी रहते हैं, जो वहां की आर्थिक प्रगति में योगदान दे रहे हैं। उन्होंने इस बात पर खुशी व्यक्त की कि ‘मेड इन इंडिया’ उत्पाद कुवैत में लोकप्रिय हो रहे हैं।
व्यापार और सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ावा
पीएम मोदी ने दोनों देशों के बीच व्यापार और सांस्कृतिक संबंधों को द्विपक्षीय संबंधों के मजबूत स्तंभ बताया। उन्होंने कहा कि खाड़ी देशों के साथ भारत के ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और व्यापारिक संबंध न केवल पारंपरिक क्षेत्रों में बल्कि ऊर्जा और पेट्रोकेमिकल जैसे आधुनिक क्षेत्रों में भी सहयोग के नए अवसर पैदा कर रहे हैं।
यह यात्रा भारत और कुवैत के बीच रणनीतिक साझेदारी और गहरे संबंधों को और मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुई।