Journalist India : सुप्रीम कोर्ट के जाने माने वकील मीडिया फिगर और सामाजिक सेवा के लिए तत्पर रहने वाले एडवोकेट अश्वनी दुबे की किताब
“End Of “Colonial Laws- From Vision to Action” की इन दिनों काफी सराहना हो रही है, एडवोकेट अश्विनी दुबे (Adv. Ashwani Dubey) द्वारा लिखी गई इस किताब में नये कानूनों के बारे में गहनता से वर्णन किया गया है। अश्वनी दुबे द्वार इस किताब का विमोचन नई दिल्ली में किया गया, जहां कई सीनियर एडवोकेट के साथ राजनेता और पत्रकार मौजूद रहे. End of Colonial Laws- From Vision to Action” के लोकार्पण समारोह में बीजेपी के सीनियर लीडर कैलाश विजयवर्गी (Kailash Vijayvargiya) ने कहा कि श्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) सरकार ने ब्रिटिश शासन के कानूनों को समाप्त कर दिया है और लोगों को त्वरित न्याय प्रदान करने के लिए तीन नए कानून लागू किए हैं, नए कानूनों की मदद से न्याय देने की प्रक्रिया में तेजी आएगी. किताब को लेकर अश्वनी दुबे ने कहा देश की आज़ादी के 75 वर्ष तक हम मैकाले के क़ानून को ढो रहे थे, एक ऐसा क़ानून जो हम पर अंग्रेजों ने शासन करने के लिए बनाया था जो कि मास्टर- सर्वेंट रिलेशनशिप पर आधारित था। लॉ मेकर्स के प्रयास से अब आज़ाद भारत का स्वतंत्र क़ानून लागू होने जा रहा है।
वहीं इस मौके पर Bennet University के कुलपति डॉ प्रदीप कुलश्रेष्ठ ने कहा कि आने वाले कुछ वर्षों के बाद जब नई पीढ़ी यह जानने का प्रयास करेगी कि क्यों क्रिमिनल लॉ को बदलना पड़ा तो Ashwani Dubey की पुस्तक “End of Colonial Laws- From Vision to Action” उसे जन-जन तक पहुँचाने में अग्रणी भूमिका अदा करेगी.
सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता श्री राकेश कुमार खन्ना ने भी इस किताब की तारीफ की है, उन्होंने कहा कि End of Colonial Laws- From Vision to Action नए कानूनों के बारे लिखी गई पहली किताब है। इसमें गहनता से वर्णन किया गया है कि इन क़ानूनों की आवश्यकता क्यों थी। इस किताब के लोकार्पण समारोह में बोलते हुए वरिष्ठ पत्रकार श्री रास बिहारी Ras Bihari ने कहा ये मेरे लिये अद्भुत पल हैं यहां इतने सम्मानित लोग हिस्सा ले रहे हैं, ये मैं पहली बार देख रहा हूँ। जितने सम्मानित जन ऑडिटोरियम में हैं उतने ही जगह नहीं होने की वजह से बाहर खड़े हैं।
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस नवीन सिन्हा ने कहा कि समय बदल रहा है और समय के अनुसार कानून में भी बदलाव की आवश्यकता है।
वहीं इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार और एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के पूर्व अध्यक्ष डॉ. आलोक मेहता ने कहा पुस्तक “एंड ऑफ कॉलोनियल लॉज- फ्राम विजन टू एक्शन” नए कानूनों की जानकारी देने के साथ ही भारत की प्राचीन न्याय व्यवस्था के बारे में प्रमाणिक जानकारी देती है। उन्होंने कहा कि न्याय दिलाने के कारण न्यायाधीशों और वकीलों को भगवान का दर्जा दिया जाता है। इस कारण वकालत के पेशे में ईमानदारी आवश्यक है, इस बात को अश्वनी दुबे ने पुस्तक में गंभीरता से उठाया है। नये क़ानूनों से वर्षों से लंबित मुकदमों के निस्तारण में तेजी आएगी|