Assam News: असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा सरमा ने राज्य के कुछ ज़िलों में रहने वाले अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि जिन इलाकों में हिंदुओं की आबादी बेहद कम है, वहां क़ानूनी प्रक्रिया के तहत इच्छुक परिवारों को आर्म्स लाइसेंस (हथियार लाइसेंस) देने पर विचार किया जाएगा।
सीएम सरमा के अनुसार,
सरमा का यह बयान उस समय आया है जब राज्य में जनसंख्या और धार्मिक जनसांख्यिकी को लेकर चर्चाएं तेज़ हैं। कई सीमावर्ती और संवेदनशील इलाकों में हिंदू आबादी का प्रतिशत बेहद कम है।
सरकार का तर्क
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अल्पसंख्यक हिंदुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना।
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संवेदनशील क्षेत्रों में आत्मरक्षा की क्षमता बढ़ाना।
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क़ानूनी दायरे में रहकर हथियार लाइसेंस जारी करना।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
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भाजपा और समर्थक संगठनों ने इस कदम को हिंदुओं की सुरक्षा के लिए ज़रूरी बताया।
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विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि यह बयान साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण की राजनीति है।
हथियार लाइसेंस पाने के लिए इच्छुक लोगों को स्थानीय प्रशासन, पुलिस और गृह मंत्रालय की मंज़ूरी लेनी होगी। इसमें पात्रता, सुरक्षा जांच और आवश्यक कागजात की प्रक्रिया शामिल है।
असम की धार्मिक जनसंख्या का परिदृश्य
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2011 की जनगणना के अनुसार, असम में हिंदुओं की आबादी लगभग 61.5% और मुस्लिम आबादी लगभग 34.2% है।
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राज्य के कुछ ज़िलों जैसे धुबरी, बरपेटा, गोलपाड़ा और दक्षिण सालमारा में मुस्लिम आबादी का प्रतिशत 75% से अधिक है।
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सीमावर्ती क्षेत्रों में कई गांव ऐसे हैं, जहाँ हिंदुओं की संख्या कुल जनसंख्या का 1% से भी कम है।
क़ानूनी प्रक्रिया
असम में हथियार लाइसेंस के लिए आवेदन करने वालों को—
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स्थानीय प्रशासन और पुलिस सत्यापन से गुजरना होगा।
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गृह मंत्रालय से अनुमति लेनी होगी।
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लाइसेंस मिलने के बाद नियमित नवीनीकरण और हथियार के सुरक्षित इस्तेमाल की शर्तें माननी होंगी।
जनसंख्या संतुलन और अवैध घुसपैठ को लेकर कई बार बयान दे चुके हैं CM सरमा
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CM हेमंत बिस्वा सरमा पहले भी जनसंख्या संतुलन और अवैध घुसपैठ को लेकर कई बार बयान दे चुके हैं।
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उन्होंने हाल ही में कहा था कि “असम में जनसांख्यिकीय असंतुलन को ठीक करना ज़रूरी है, वरना मूल संस्कृति खतरे में पड़ सकती है।”
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विपक्ष इस तरह के बयानों को चुनावी ध्रुवीकरण का हिस्सा मानता है, जबकि समर्थक इसे सुरक्षा और सांस्कृतिक पहचान की रक्षा का कदम बताते हैं।