Tulsi Gabbard Statement Islamwadi vichardhara global khatra : अमेरिका की नेशनल इंटेलिजेंस डायरेक्टर तुलसी गबार्ड ने इस्लामिक विचारधारा के खतरे को लेकर बड़ी चेतावनी दी है. उनका ये बयान अब अंतरराष्ट्रीय राजनीति और सुरक्षा विमर्श के केंद्र में आ गया है। अमेरिका में आयोजित कंज़र्वेटिव सम्मेलन AmericaFest (AMFest) के दौरान उन्होंने इस्लामवादी विचारधारा को लेकर तीखी चेतावनी देते हुए कहा कि इससे पैदा होने वाले खतरे अब केवल सैद्धांतिक नहीं, बल्कि वास्तविक और वैश्विक स्तर पर दिखाई दे रहे हैं.
तुलसी गबार्ड ने अपने संबोधन में जर्मनी का उदाहरण देते हुए कहा कि जैसे-जैसे क्रिसमस नज़दीक आ रहा है, वहां सुरक्षा खतरों के चलते कई क्रिसमस मार्केट्स को रद्द किया जा रहा है। उनके अनुसार, यह स्थिति केवल किसी एक देश की समस्या नहीं है, बल्कि यह एक ऐसी विचारधारा से जुड़ा खतरा है जो विभिन्न रूपों में दुनिया के सामने आ रहा है।
“यह केवल धार्मिक नहीं, राजनीतिक विचारधारा है”
गबार्ड ने स्पष्ट किया कि जब वह इस्लामवाद की बात करती हैं, तो उनका आशय किसी धर्म से नहीं, बल्कि एक राजनीतिक विचारधारा से है. उनके शब्दों में, “इस विचारधारा के ढांचे में व्यक्तिगत स्वतंत्रता और नागरिक आज़ादी जैसी अवधारणाओं के लिए कोई स्थान नहीं है.” उन्होंने कहा कि यही कारण है कि यह विचारधारा अमेरिका जैसी स्वतंत्रता-आधारित लोकतांत्रिक व्यवस्था के मूल सिद्धांतों से टकराती है.
उनका यह भी कहना था कि इस्लामवादी विचारधारा को केवल भविष्य की आशंका के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए. उनके मुताबिक, इसकी प्रक्रिया अमेरिका के भीतर ही कई जगहों पर शुरू हो चुकी है.
अमेरिका के भीतर खतरे की चेतावनी
तुलसी गबार्ड ने दावा किया कि अमेरिकी कानूनी और राजनीतिक व्यवस्थाओं का उपयोग कर कुछ स्थानों पर शरीयत कानून लागू करने की मांगें सामने आ रही हैं। उन्होंने टेक्सास के ह्यूस्टन और न्यू जर्सी के पैटरसन शहर का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां स्थानीय स्तर पर इस तरह के प्रयासों के संकेत दिखाई देते हैं.
पैटरसन शहर को लेकर उन्होंने कहा कि वहां खुद को “पहला मुस्लिम शहर” कहने पर गर्व किया जाता है और स्थानीय प्रशासन के भीतर ऐसे इस्लामी सिद्धांतों को आगे बढ़ाने की कोशिशें हो रही हैं, जिन्हें कानून या सामाजिक दबाव के माध्यम से लागू किया जा सकता है।
वैश्विक सुरक्षा पर प्रभाव
गबार्ड के इस बयान ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि धार्मिक उग्रवाद और राजनीतिक इस्लामवाद के बीच की रेखा को वैश्विक मंच पर कैसे समझा जाए। उनके अनुसार, यह मुद्दा केवल आस्था का नहीं, बल्कि शासन व्यवस्था, कानून और व्यक्तिगत स्वतंत्रता से जुड़ा हुआ है.
उन्होंने जोर देकर कहा कि इस तरह की विचारधाराओं को समझना और उन पर खुली बहस करना आवश्यक है, क्योंकि इनके प्रभाव सीमाओं तक सीमित नहीं रहते, बल्कि वैश्विक सुरक्षा और सामाजिक स्थिरता को प्रभावित करते हैं.
बहस का नया दौर
तुलसी गबार्ड का यह बयान जहां कंज़र्वेटिव वर्ग के बीच समर्थन पा रहा है, वहीं आलोचकों का कहना है कि ऐसे बयानों से धार्मिक समुदायों को लेकर ध्रुवीकरण बढ़ सकता है। इसके बावजूद, यह स्पष्ट है कि उनका यह वक्तव्य अंतरराष्ट्रीय स्तर पर राजनीतिक इस्लाम, सुरक्षा और स्वतंत्रता को लेकर एक नई बहस को जन्म दे चुका है।
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