Syria Civil War : कौन हैं सीरिया के विद्रोही? किसका मिला समर्थन और कैसे गिरा असद शासन? यहां जानें

Syria Civil War : सीरिया में इस घटना ने नया मोड़ ले लिया है।दरअसल, रविवार ( 8 दिसंबर ) सुबह विद्रोही गुटों ने सीरिया को राष्ट्रपति बशर अल-असद के शासन से मुक्त घोषित कर दिया....

Syria Civil War : सीरिया में तख्तापलट के बाद हड़कंप मचा हुआ है।रविवार सुबह विद्रोही गुटों ने सीरिया को राष्ट्रपति बशर अल-असद के शासन से मुक्त घोषित कर दिया। खबरें हैं कि बशर अल-असद दमिश्क छोड़कर भाग गए हैं, लेकिन फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि उन्हें दुनिया में कौन सा देश शरण देगा। अल-असद परिवार ने सीरिया पर 53 वर्षों तक शासन किया, लेकिन उनका पतन इतिहास के पन्नों में दर्ज होने वाला एक अप्रत्याशित पल साबित हो रहा है। लगभग 14 साल पहले शांतिपूर्ण प्रदर्शन के साथ शुरू हुआ असंतोष गृहयुद्ध में बदल गया था। अब सवाल उठता है कि एक समय देश के अधिकांश हिस्से पर कब्जा रखने वाली यह सत्ता इतनी तेजी से कैसे ढह गई।

क्या है मामला 

27 नवंबर को विपक्षी गुटों ने सरकार समर्थक बलों पर बड़े पैमाने पर हमले शुरू किए। यह हमला विपक्ष के कब्जे वाले इदलिब और पड़ोसी अलेप्पो के बीच मोर्चे पर किया गया। तीन दिनों के भीतर विद्रोहियों ने सीरिया के दूसरे सबसे बड़े शहर अलेप्पो पर कब्जा कर लिया।

कौन-कौन हैं विद्रोही गुट

इस हमले को “ऑपरेशन डिटरेंस ऑफ़ एग्रेशन” नाम दिया गया और इसका नेतृत्व हयात तहरीर अल-शाम (HTS) ने किया। यह समूह अबू मोहम्मद अल-जुलानी के नेतृत्व में काम करता है और लंबे समय से इदलिब के गवर्नरेट पर शासन कर रहा था। इसमें नेशनल फ्रंट फॉर लिबरेशन, अहरार अल-शाम, जैश अल-इज़्ज़ा, और नूर अल-दीन अल-ज़ेंकी मूवमेंट जैसे गुट शामिल हैं। साथ ही तुर्की समर्थित गुट भी इस गठबंधन का हिस्सा हैं, जो सीरियाई राष्ट्रीय सेना के अंतर्गत आते हैं।

किसका है विद्रोहियों को समर्थन?

हयात तहरीर अल-शाम (HTS) को तुर्की का खुला समर्थन प्राप्त है। इसके अलावा, गठबंधन में कुछ अल-कायदा समर्थक और पश्चिमी देशों से जुड़े विद्रोही गुट भी शामिल हैं। माना जा रहा है कि तुर्की समर्थित गुट और अन्य अंतरराष्ट्रीय ताकतें इन विद्रोहियों को सीधे या परोक्ष रूप से सहायता प्रदान कर रही हैं।

27 नवंबर को शुरू हुआ विद्रोह असद सरकार के लिए निर्णायक साबित हुआ। इदलिब और अलेप्पो जैसे प्रमुख क्षेत्रों में तेजी से जमीन खोने के बाद उनकी सरकार लड़खड़ा गई। इसके अलावा, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहयोगी माने जाने वाले ईरान और रूस का सीमित समर्थन भी उनकी स्थिति को और कमजोर कर गया।

सीरिया में तख्तापलट और विद्रोही गुटों की इस जीत ने पूरे क्षेत्र में हलचल मचा दी है। अब देखना यह है कि असद के बाद सीरिया की सत्ता का भविष्य क्या होगा।

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