Syria Civil War : सीरिया के तानाशाह बशर अल-असद के शासन का अंत एक अप्रत्याशित मोड़ पर आकर हुआ। इसकी शुरुआत 14 साल के एक बच्चे मुआविया सियासने से हुई, जिसने 26 फरवरी 2011 को दारा के एक स्कूल की दीवार पर अरबी में एक वाक्य लिखा, जिसका मतलब था, “अब तुम्हारी बारी है डॉक्टर।” यह वाक्य बशर अल-असद को संबोधित था, जिन्हें उनके करीबी “डॉक्टर” कहकर बुलाते थे। यह संदेश अरब देशों में चल रही तानाशाही विरोधी लहर, “अरब स्प्रिंग” से प्रेरित था, जिसने ट्यूनीशिया, लीबिया और मिस्र जैसे देशों में सत्ता परिवर्तन कर दिया था।
असद शासन की शुरुआत और तानाशाही का दौर
बशर अल-असद के पिता हाफिज अल-असद ने 13 नवंबर 1970 को सेना का इस्तेमाल करके सत्ता पर कब्जा किया और लगभग 30 साल तक शासन किया। उनके शासन में शिया अल्पसंख्यक समुदाय को तरजीह दी गई, जबकि बहुसंख्यक सुन्नी समुदाय के साथ भेदभाव किया गया। साल 2000 में हाफिज की मृत्यु के बाद, बशर अल-असद ने सत्ता संभाली और अपने पिता की नीति को जारी रखा। 2010 तक असद परिवार ने हर विरोध को कुचलते हुए अपने शासन को मजबूत बनाए रखा। हालांकि, 2006 से 2010 के बीच पड़े सूखे और बढ़ते असंतोष ने जनता को झकझोर दिया। इसके साथ ही, अरब स्प्रिंग के प्रभाव ने असद सरकार के लिए खतरे की घंटी बजा दी।
दीवार पर लिखे शब्दों से शुरू हुआ विद्रोह
2011 में मुआविया और उसके साथियों द्वारा दीवार पर लिखे गए वाक्य के बाद सुरक्षा बलों ने इन बच्चों को गिरफ्तार कर लिया। बच्चों पर बर्बर यातनाओं के बाद दारा के लोगों ने विरोध प्रदर्शन शुरू किए। सेना ने इन विरोधों को कुचलने के लिए हिंसा का सहारा लिया, जिससे प्रदर्शन पूरे देश में फैल गए।
गृह युद्ध की आग
आंदोलन को दबाने के असफल प्रयासों के बाद, असद सरकार के खिलाफ विद्रोह और तेज हो गया। फ्री सीरियन आर्मी (FSA) का गठन हुआ, जिसमें असद से असंतुष्ट सैनिक शामिल हुए। इसके साथ ही, ISIS और कुर्द बलों ने भी अपने-अपने एजेंडे के तहत सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। देश गृह युद्ध का अखाड़ा बन गया, जिसमें बाहरी ताकतें जैसे रूस और ईरान असद के समर्थन में और अमेरिका व अरब देश विपक्ष के समर्थन में कूद पड़े।
हाल ही में, असद सरकार के खिलाफ विरोध फिर से उभरने लगा। ईरान और रूस, जो लंबे समय तक असद के समर्थक थे, अपने-अपने मामलों में उलझे रहे। पिछले 11 दिनों में असद ने दमिश्क सहित प्रमुख शहरों का नियंत्रण खो दिया। आखिरकार, 8 दिसंबर 2023 को, बशर अल-असद चुपचाप रूस भाग गए, जहां पुतिन ने उन्हें शरण दी।
13 साल की क्रांति का खौफनाक परिणाम
इस क्रांति और गृह युद्ध के चलते सीरिया में 5 लाख से अधिक लोग मारे गए, और लाखों लोग बेघर हो गए। 13 साल लंबा यह संघर्ष न केवल तानाशाही शासन के अंत का प्रतीक है, बल्कि एक देश की तबाही की दुखद कहानी भी है।