Sheikh Hasina को मानवता के खिलाफ अपराधों में फांसी की सजा, भारत में मौजूद पूर्व PM बोलीं “फैसला राजनीतिक”

ढाका/नई दिल्ली, 17 नवंबर 2025

Sheikh Hasina Bangladesh Tribunal Verdict 2025 : बांग्लादेश की राजनीति में बड़ा भूचाल आ गया है. बाग्लादेश देश की अंतरराष्ट्रीय अपराध ट्रिब्यूनल (ICT-BD) ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को 2024 में हुए कथित छात्र आंदोलन को दमन कराने का आरोपी बनाकर मानवता के खिलाफ अपराधों का दोषी ठहराते हुए फांसी की सजा सुनाई है. यह फैसला शेख हसीना की अनुपस्थिति में सुनाया गया, क्योंकि हसीना इस समय भारत में हैं.

क्या हैं आरोप?

ट्रिब्यूनल के अनुसार, 2024 के व्यापक छात्र आंदोलनों के दौरान हसीना सरकार द्वारा कथित तौर पर ड्रोन, हेलीकॉप्टर और घातक हथियारों का इस्तेमाल किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी मारे गए.

अदालत ने कहा कि अभियान “राज्य शक्ति का दुरुपयोग” था और इसकी जिम्मेदारी सीधे तत्कालीन प्रधानमंत्री पर आती है।

हसीना का बयान-“पक्षपातपूर्ण फैसला”

नई दिल्ली में मौजूद 77 वर्षीय हसीना ने फैसला सुनते ही इसे “पूरी तरह राजनीतिक और पक्षपातपूर्ण” बताया। उनका कहना है

“मुझे निष्पक्ष सुनवाई का मौका नहीं मिला. यह फैसला बांग्लादेश को खतरनाक दिशा में ले जाएगा.”

हसीना 2025 में सत्ता से बेदखल होने के बाद भारत आई थीं और तब से यहीं रह रही हैं।

ढाका में तनाव, सड़कों पर दो गुट

फैसले की घोषणा के बाद ढाका समेत कई शहरों में तनाव फैल गया।

  • हसीना समर्थकों ने इसे “न्याय का मज़ाक” बताते हुए विरोध प्रदर्शन किए.
  • वहीं विपक्षी गुटों ने अदालत के फैसले का स्वागत किया और इसे “ऐतिहासिक” बताया.

सुरक्षा एजेंसियों ने बांग्लादेश के कई शहरों में धारा 144 लागू कर दी है। इंटरनेट पर भी अस्थायी प्रतिबंध लगाए जाने की खबरें हैं।

क्षेत्रीय राजनीति पर असर

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह फैसला सिर्फ एक पूर्व PM की सजा का मसला नहीं, बल्कि दक्षिण एशिया की भू-राजनीति पर गहरा असर डालेगा। बांग्लादेश में कट्टरपंथी तत्वों के बढ़ते प्रभाव और सत्ता संतुलन को लेकर कई देशों में चिंता जताई जा रही है।

भारत इस मामले पर आधिकारिक बयान देने से पहले स्थिति पर नजर बनाए हुए है।

क्या होगा आगे?

कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार, शेख हसीना इस फैसले के खिलाफ अपील कर सकती हैं, लेकिन उनकी अनुपस्थिति में प्रक्रिया जटिल हो सकती है। सवाल यह भी है कि क्या बांग्लादेश की मौजूदा सत्ता इस सजा को लागू करा पाएगी, या यह फैसला आने वाले बड़े राजनीतिक संघर्ष की शुरुआत है.

 

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