Iran Isreal War : ईरान ने अमेरिका ( America ) और इजरायल ( Isreal ) पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि ये दोनों देश उसकी सुरक्षा और स्थिरता को नुकसान पहुंचाने की साजिश रच रहे हैं। ईरान के अधिकारियों का दावा है कि अमेरिका और इजरायल के संयुक्त प्रयासों का उद्देश्य उसके देश में अस्थिरता फैलाना, आंतरिक सुरक्षा को कमजोर करना और वैश्विक स्तर पर ईरान की छवि को धूमिल करना है। इन आरोपों के बाद ईरान ने पूरे देश में हाई अलर्ट जारी कर दिया है। इरान का यह खुलासा ऐसे समय पर सामने आया है जब ईरान पहले से ही अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों और क्षेत्रीय विवादों का सामना कर रहा है। ईरान का परमाणु कार्यक्रम, इजरायल के साथ लंबे समय से चला आ रहा तनाव और अमेरिका के साथ बिगड़ते रिश्ते, इन आरोपों की पृष्ठभूमि में प्रमुख कारण माने जा रहे हैं।
ईरान के अमेरिका और इजरायल पर क्या हैं आरोप ?
ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई और देश की रिवोल्यूशनरी गार्ड्स (आईआरजीसी) ने हाल ही में अपने बयानों में अमेरिका और इजरायल पर तीखे हमले किए। उनका कहना है कि इन दोनों देशों ने ईरान के अंदरूनी मामलों में हस्तक्षेप करते हुए आतंकी संगठनों को बढ़ावा दिया है। इसके अलावा, ईरान का दावा है कि अमेरिका और इजरायल ने साइबर हमलों और दुष्प्रचार अभियानों के जरिए देश की महत्वपूर्ण संरचनाओं को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की है। खुद को निशाने पर बताते हुए ईरान ने इन आरोपों के समर्थन में कुछ कथित सबूत भी पेश किए हैं। हालांकि, इन सबूतों की स्वतंत्र पुष्टि नहीं हो सकी है। ईरान का कहना है कि अमेरिका और इजरायल द्वारा समर्थित आतंकवादी गुटों ने देश में दंगे भड़काने, सैन्य ठिकानों पर हमले करने और आर्थिक संकट पैदा करने की साजिश रची है।
सुरक्षा अलर्ट और ईरानी प्रतिक्रिया
इन आरोपों के बाद, ईरान ने सुरक्षा उपायों को कड़ा कर दिया है। राजधानी तेहरान समेत देश के सभी प्रमुख शहरों में सुरक्षाबलों की तैनाती बढ़ा दी गई है। ईरानी सेना और रिवोल्यूशनरी गार्ड्स ने बड़े पैमाने पर सैन्य अभ्यास भी शुरू कर दिया है ताकि किसी भी संभावित हमले का तुरंत जवाब दिया जा सके। ईरानी अधिकारियों ने नागरिकों से सतर्क रहने और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना तुरंत देने की अपील की है। सरकारी मीडिया द्वारा प्रसारित संदेशों में जनता से धैर्य बनाए रखने और देश की सुरक्षा में सहयोग करने को कहा गया है।
अमेरिका और इजरायल की प्रतिक्रिया
अमेरिका और इजरायल ने फिलहाल इन आरोपों को खारिज कर दिया है। उनका कहना है कि ईरान इस तरह के बयान देकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान अपने आंतरिक संकटों से हटाना चाहता है।विशेषज्ञों का मानना है कि ईरान के इन आरोपों के पीछे देश के अंदर बढ़ते असंतोष को दबाने की रणनीति हो सकती है। हाल के महीनों में ईरान ने आर्थिक संकट, महंगाई, बेरोजगारी और मानवाधिकारों के उल्लंघन जैसे मुद्दों का सामना किया है। विरोध प्रदर्शनों की बढ़ती संख्या और सरकार के खिलाफ जनता का गुस्सा, ईरान के लिए चिंता का कारण बन गए हैं।
ईरान-अमेरिका और इजरायल के बीच तनाव का इतिहास
ईरान और अमेरिका के बीच तनाव का इतिहास दशकों पुराना है। 1979 की इस्लामी क्रांति के बाद से दोनों देशों के संबंध खराब हो गए थे, और तब से अब तक स्थिति में कोई बड़ा सुधार नहीं हुआ है।दूसरी ओर, ईरान और इजरायल के बीच शत्रुता का मुख्य कारण ईरान का परमाणु कार्यक्रम है। इजरायल का मानना है कि ईरान के परमाणु कार्यक्रम का उद्देश्य परमाणु हथियार बनाना है, जबकि ईरान का कहना है कि उसका परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए है। इन मतभेदों ने इन देशों के बीच गहरी दरार पैदा कर दी है। अमेरिका और इजरायल दोनों ही ईरान पर प्रतिबंध लगाने और उसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग करने की नीति पर काम करते रहे हैं।
ईरान के इन आरोपों पर क्या कहते हैं विशेषज्ञ
ईरान द्वारा लगाए गए आरोपों और सुरक्षा अलर्ट से यह स्पष्ट है कि क्षेत्रीय तनाव आने वाले दिनों में और बढ़ सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह तनाव और गहराता है तो इसका असर न केवल ईरान और अमेरिका-इजरायल के रिश्तों पर पड़ेगा, बल्कि पूरे मध्य पूर्व क्षेत्र की स्थिरता पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। इसके अलावा, अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस स्थिति पर करीब से नजर रख रहा है। ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर जारी बातचीत और अमेरिका-ईरान संबंधों में संभावित सुधार के प्रयास, इस विवाद के चलते और जटिल हो सकते हैं।
ईरान के इन आरोपों से भविष्य पर असर
ईरान के इन आरोपों से यह स्पष्ट है कि देश वर्तमान में आंतरिक और बाहरी दोनों स्तरों पर गंभीर चुनौतियों का सामना कर रहा है। अमेरिका और इजरायल के साथ उसका टकराव केवल क्षेत्रीय ही नहीं, बल्कि वैश्विक मुद्दा बन चुका है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि आने वाले दिनों में ईरान इन आरोपों को लेकर क्या कदम उठाता है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस स्थिति पर कैसे प्रतिक्रिया देता है। एक बात तो साफ है कि मध्य पूर्व का यह विवाद सुलझने के बजाय और बढ़ता नजर आ रहा है।
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