Iran Israel Ceasefire ईरान-इजरायल संघर्ष पर ट्रम्प-क़तर की पहल से अस्थायी सीज़फायर, हालात अभी भी तनावपूर्ण

ईरान इजरायल के बीच युद्धविराम की घोषणा भले ही हो चुकी हो, लेकिन जमीनी हालात अभी भी काफ़ी नाज़ुक हैं। यह एक राजनीतिक डील से ज़्यादा एक कूटनीतिक प्रयोग लगता है, जिसमें अगर पारदर्शिता और आपसी भरोसा न बना, तो शांति सिर्फ एक भ्रम रह जाएगी।

Iran Israel Ceasefire : दिनों तक चले ईरान-इजरायल सैन्य टकराव के बाद पहली बार शांति की उम्मीद की एक किरण दिखी है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने एक औपचारिक बयान में घोषणा की है कि दोनों देशों के बीच एक चरणबद्ध युद्धविराम (phased ceasefire) पर सहमति बन गई है। इस प्रयास में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका क़तर और व्हाइट हाउस की वार्ता टीम की रही है।

क्या है यह सीज़फायर?

ट्रम्प ने अपने बयान में बताया कि यह कोई पारंपरिक एकमुश्त समझौता नहीं है, बल्कि एक क्रमिक प्रक्रिया है। पहले चरण में ईरान ने अमेरिका और इजरायल के खिलाफ मिसाइल हमले रोकने की सहमति दी। इसके 12 घंटे बाद इजरायल को अपनी सैन्य कार्रवाई रोकने के लिए कहा गया।

हालांकि, यह सीज़फायर पूरी तरह स्थिर नहीं है। इजरायल ने दावा किया कि ईरान ने 23 जून की रात को सीज़फायर के बावजूद मिसाइलें दागीं। इसके जवाब में इजरायल के रक्षा मंत्री योव गैलेंट और मंत्री इजराइल काट्ज़ ने तत्काल जवाबी हमलों का आदेश दिया।

Israel iran conflict break

कौन थे मध्यस्थ?

इस युद्धविराम की पृष्ठभूमि में तीन प्रमुख कूटनीतिक चेहरे उभर कर आए हैं:

  1. डोनाल्ड ट्रम्प –  अमेरिकी राष्ट्रपति होने के बावजूद ट्रम्प ने व्यक्तिगत स्तर पर नेतन्याहू और ईरानी संपर्कों से सीधी बातचीत की।
  2. क़तर – मध्यस्थता में क़तर की भूमिका निर्णायक रही, खासकर ईरानी पक्ष को बातचीत की मेज़ तक लाने में।
  3. व्हाइट हाउस टीम – उपराष्ट्रपति जेडी वेंस और विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने ट्रम्प के साथ मिलकर बैकचैनल डिप्लोमेसी को संचालित किया।

क्या युद्धविराम टिकेगा?

यह बड़ा सवाल है। ईरान ने जिन शर्तों पर सहमति जताई है, उनमें यह स्पष्ट नहीं है कि वह हिज़्बुल्लाह या हौथियों जैसे सहयोगी गुटों को भी हमलों से रोकेगा या नहीं। उधर इजरायल ने चेतावनी दी है कि किसी भी नए हमले की स्थिति में वह “पूर्ण सैन्य प्रतिशोध” के लिए स्वतंत्र रहेगा।

iran israel ceasefire

आगे की राह

  • 24-48 घंटे इस समझौते की वास्तविकता की परीक्षा लेंगे।
  • यदि क़तर की मध्यस्थता सफल रहती है, तो यह क्षेत्रीय स्थिरता के लिए एक बड़ी जीत मानी जाएगी।
  • अगर हमले जारी रहते हैं, तो यह “फेज़ वाइज़ सीज़फायर” सिर्फ एक अस्थायी विराम साबित होगा।

युद्धविराम की घोषणा से क्या निकलेगा निष्कर्ष

युद्धविराम की घोषणा भले ही हो चुकी हो, लेकिन जमीनी हालात अभी भी काफ़ी नाज़ुक हैं। यह एक राजनीतिक डील से ज़्यादा एक कूटनीतिक प्रयोग लगता है, जिसमें अगर पारदर्शिता और आपसी भरोसा न बना, तो शांति सिर्फ एक भ्रम रह जाएगी।

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