Britain : ब्रिटेन की संसद इन दिनों एक अनोखे और संवेदनशील कानून पर चर्चा के चलते सुर्खियों में है। “असिस्टेड डाइंग बिल” नाम का यह विधेयक गंभीर रूप से बीमार और असहनीय पीड़ा झेल रहे लोगों को अपनी मर्जी से जीवन समाप्त करने का कानूनी अधिकार देगा। संसद के हाउस ऑफ कॉमन्स में इस पर मतदान हुआ, जिसमें 330 सांसदों ने इसके पक्ष में और 275 ने इसके विरोध में वोट दिया।
जनता और सांसदों के बीच गहरी बहस
Britain में यह विधेयक न केवल सांसदों के बीच बल्कि जनता में भी बहस का केंद्र बन गया है। कई लोग इस विधेयक का समर्थन कर रहे हैं और इसे मानवीय दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण बता रहे हैं। वहीं, इसके विरोधी इसे नैतिकता और जीवन के मूल्य के खिलाफ बता रहे हैं। हालांकि, जनता में बड़ी संख्या में लोग इस कानून के समर्थन में सड़कों पर उतर आए हैं।
किसके लिए है यह विधेयक?
यह कानून केवल उन लोगों के लिए है जो लाइलाज बीमारी से ग्रसित हैं, गंभीर दर्द झेल रहे हैं, और जिनके जीने के दिन बेहद सीमित हैं। यह उनके जीवन को सम्मानजनक और दर्दरहित तरीके से समाप्त करने का विकल्प देगा।
क्या कहता है विधेयक?
विधेयक के तहत, मरीज को अपनी स्थिति के आधार पर दो स्वतंत्र डॉक्टरों और एक उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की मंजूरी लेनी होगी। दवा को संबंधित व्यक्ति को स्वयं ही लेना होगा। अगर किसी को इस प्रक्रिया में मजबूर किया जाता है, तो दोषी को 14 साल तक की जेल हो सकती है।
प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर और पूर्व प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने इस विधेयक के पक्ष में मतदान किया। उनका मानना है कि पीड़ा में जी रहे और आसन्न मृत्यु का सामना कर रहे लोगों को इस विकल्प का अधिकार मिलना चाहिए। वहीं, सुएला ब्रेवरमैन जैसी नेता इसके खिलाफ रहीं।
क्या होगा आगे?
यह विधेयक हाउस ऑफ लॉर्ड्स में संशोधन और विस्तृत प्रक्रिया से गुजरेगा, जिसके बाद यह कानून बन सकता है। समर्थकों का कहना है कि इसमें कड़ी सुरक्षा प्रावधान हैं, जिससे इसका दुरुपयोग रोका जा सकेगा। यह विधेयक न केवल ब्रिटेन बल्कि दुनिया भर में नैतिकता, मानवता और अधिकारों पर व्यापक चर्चा को जन्म दे रहा है।