Up News Severe flood in UP Uttarakhand : उत्तराखण्ड में लगातार हो रही बारिश और नदियों के जलउफान के कारण उत्तराखण्ड के बाद अब उत्तरप्रदेश के कई हिस्से जलमग्न हो गए हैं। बीते कई दिनों से उत्तराखण्ड में जमकर बारिश हो रही है, जिससे नदियां उफान पर हैं और कई बांध पानी रोकने में नाकाम साबित हो रहे हैं, जिन्हें बचाये जाने के लिए लगातार पानी छोड़ा जा रहा है, जिसका सीधा असर उत्तरप्रदेश के तराई इलाकों में दिखाई दे रहा है, लगभग सभी नदियां उत्तराखण्ड से निकलकर उत्तरप्रदेश के रास्ते होते हुए देश के अन्य हिस्सों में जाती हैं, इन नदियों का जलस्तर लगातार बढ़ने के कारण नदी वाले इलाकों में भयंकर बाढ़ त्रासदी देखने को मिल रही है।
उत्तराखण्ड से सटे हुए जनपद शाहजहांपुर, पीलीभीत, लखीमपुर समेत कई जिले इस समय बाढ़ की चपेट में है, जहाँ सामान्य रास्तों के साथ ही तमाम हाईवे व रेल ट्रैक भी बंद हो चुके हैं, मतलब आवागमन पूरी तरह से बाधित है, साथ ही नदियो के किनारे बसे गांव जलमग्न होने के कारण गैरआबाद हो चुके हैं, और इन गांवों में बसने वाले लोग बेघर होकर सड़क किनारे रहने को मजबूर हैं, हालात इतने बदतर हो चुके हैं कि इन गांवों में बसने वाले लोग जरूरत पड़ने पर अपना इलाज तक नहीं कर पा रहे हैं, हाल में ही लखीमपुर खीरी से एक खबर सामने आई है कि दो भाई अपनी बीमार बहन को इलाज के लिए अपने कंधे पर लेकर चल पड़े, नतीजतन समय से इलाज नहीं मिल सका और दो भाईयों की बहन काल के गाल में समा गई। बात सिर्फ इतनी ही नहीं है, पूरा इलाका जलमग्न होने के कारण बदनसीब भाई अपनी बहन के अंतिम संस्कार के लिए सूखी जमीन तलाशते रहे।
जर्नलिस्ट इंडिया के रिपोर्टरों द्वारा बाढ़ पीड़ित क्षेत्रों का दौरा करते हुए स्थानीय लोगों से बात की गई और जमीनी हकीकत की पड़ताल की गई तो पता चला कि लोगों के पास मौजूद राशन समेत सभी घरेलू सामान नष्ट हो गया है, जिससे खाने पीने की तंगी हो गई है और इन बाढ़ पीड़ित क्षेत्रों में राहत देने का दावा करने वाले नेता और कुछ समाजसेवी सिर्फ एक वक्त का खाना देकर अपनी फोटो सोशल मीडिया पर अपलोड कर वाहवाही लूटने की कोशिश कर रहे हैं, जिससे बाढ़ पीड़ितों को कोई खासी राहत तो नहीं मिल रही है लेकिन नेताओं और समाजसेवियों को अपनी बल्ले बल्ले करने का पूरा मौका मिल रहा है। लोगों से जब उनकी समस्याओं के बारे में पूंछा गया तो उनके द्वारा बताया गया कि रहने और खाने पीने की तंगी तो सबको दिख रही है लेकिन हालात इतने बदतर हो चुके हैं कि कहीं भी सूखी जमीन न होने के कारण पैर सड़ चुके हैं और भयंकर संक्रामक रोग फैल रहे हैं, लेकिन मौके पर इलाज का कोई इंतजाम उपलब्ध नहीं है, सिर्फ आदमी ही नहीं वहां के जानवर भी बाढ़ से पीड़ित हैं, जिनके बैठने के लिए कोई जगह नहीं बची है और खड़े खड़े उनके पैर भी सड़ने लगे हैं. लोगों ने यह भी बताया कि सबसे बड़ी समस्या दैनिक क्रियाओं की है, क्योंकि कही भी कोई जमीन नहीं बची है, सब तरफ सिर्फ पानी ही पानी है तो ऐसे में दैनिक क्रियाओं के लिए काफी परेशानी उठानी नहीं पड़ रही है। राहत कार्य के रूप में सिर्फ चंद राशन बांटा जा रहा है जो कि मौजूदा हालात में ऊंट के मुंह में जीरा के बराबर है, लोगों ने बताया कि अगर शासन प्रशासन बाढ़ से पहले ही कोई इंतजाम करे तो बाढ़ की त्रासदी से नहीं गुजरना पड़ेगा।