Supreme Court : सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर एक्शन पर अपना अहम फैसला सुना दिया है। दो जजों की बेंच ने सरकार की मनमानी कार्रवाई पर रोक लगाते हुए कहा कि किसी की संपत्ति को मनमाने ढंग से गिराना कानून का उल्लंघन है और राज्य में कानून का राज होना चाहिए। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि किसी भी व्यक्ति का घर सिर्फ आरोपी या दोषी होने के आधार पर नहीं तोड़ा जा सकता, बल्कि इसके लिए उचित कानूनी प्रक्रिया का पालन करना अनिवार्य है।
सुप्रीम कोर्ट सख्त
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मनमाने ढंग से संपत्ति पर बुलडोजर चलाने वाले अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया जाएगा। अगर किसी अधिकारी ने अवैध कार्रवाई की, तो उसे सजा दी जाएगी। अपराधियों को सजा देना कोर्ट का कार्य है, और अभियुक्तों के पास भी कानूनी अधिकार होते हैं। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि केवल आरोपी होने के कारण किसी का घर गिराना कानून का उल्लंघन है।
क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि किसी व्यक्ति का घर मनमाने ढंग से गिराने पर उसे मुआवजा मिलना चाहिए। बिना कानूनी प्रक्रिया के बुलडोजर चलाना असंवैधानिक है और एक व्यक्ति की गलती के लिए पूरे परिवार को दंडित नहीं किया जा सकता।
कोर्ट ने निर्देश दिया कि बुलडोजर एक्शन से पहले आरोपी को अपना पक्ष रखने का अवसर मिलना चाहिए। नियमों के तहत नोटिस जारी हो और उसे रजिस्टर्ड डाक से भेजा जाए और मकान पर चिपकाया जाए। कार्रवाई से पहले 15 दिन का समय दिया जाना चाहिए और इस नोटिस की जानकारी जिलाधिकारी को भी होनी चाहिए, ताकि आरोपी को अवैध निर्माण हटाने का अवसर मिल सके।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि अगर मामला सार्वजनिक भूमि पर अतिक्रमण का है तो ये निर्देश लागू नहीं होंगे। इसके अलावा, तोड़फोड़ की कार्रवाई की वीडियोग्राफी कराई जाएगी और लोगों को अवैध निर्माण खुद हटाने का अवसर दिया जाना चाहिए। ध्वस्तीकरण का आदेश डिजिटल पोर्टल पर डालने का भी निर्देश दिया गया है, ताकि इसके खिलाफ अपील के लिए समय मिल सके।