Jammu Kashmir Terror Attack : जम्मू-कश्मीर में पिछले तीन महीनों से भी कम समय में 11 बड़े आतंकी हमले हो चुके हैं, जिसमें भारत को जान-माल का भारी नुक्शान हुआ है, भारत ने अपने कई वीर जवनों को खो दिया है, कश्मीर में बैठे आतंकियों के ठेकेदार फिर भारत के साथ गद्दारी कर रहे हैं, ऐसे में जम्मू-कश्मीर के डीजीपी आरआर स्वैन ने इसके लिए कश्मीर में बैठे आतंकियों के ठेकेदारों को जिम्मेदार बताया है, जो उन्हें शरण दे रहे हैं और भारत के खिलाफ षड्यंत्र रच रहे हैं. डीजीपी के इस बयान के बाद कश्मीर के नेता उनके इस बयान से नाराज हो गए हैं और डीजीपी के खिलाफ बयानबाजी करने लगे हैं.
आतंकी हमलों पर डीजीपी का बयान क्यों है महत्वपूर्ण.
जम्मू-कश्मीर के डीजीपी ने अपने अलग-अलग बयानों में एक ही आरोप लगाया है कि कश्मीर में बैठे आतंकियों के ठेकेदारों की दुकानें बंद हो गई थी जिसे उन्होंने फिर से चालू कर दिया है. डीजीपी की ओर से कहा गया है कि हमले में मारे गए आतंकियों के घर स्थानीय नेताओं के लिए उनके घर औऱ रिस्तेदारों को अपने पक्ष में कन्वेंस करने में आसानी हो जाती है जो पहले से ही होता आया है. डीजीपी का ये आरोप भी महत्वपूर्ण हो जाता है कि यहां के स्थानीय नेताओं की मदद से पाकिस्तान ने कश्मीर की हर सिविल सोसाइटी में अपनी पकड़ बनाकर घुसपैठ कर ली है, जिसका श्रेय उन्होंने स्थानीय पार्टियों को दिया है.
जमीयत-ए-इस्लामी जैसे संगठनों पर करनी होगी कठोर कार्रवाई.
डीजीपी ने जमीयत-ए-इस्लामी पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि ये संस्था आतंकियों को धार्मिक और वैचारिक तौर पर समर्थन दे रही है. जो कश्मीर में शांति स्थापित करने के सभी प्रयासों को विफल करने की पूरी कोशिशों में लगी हुई है.
डीजीपी के बयान के बाद चोर की दाढ़ी में तिनका जैसी हरकतें क्यों कर रही हैं घाटी के नेता.
आतंकी हमले पर कश्मीर की सुरक्षा पर पैनी नजरें रखने वाले डीजीपी को तो सभी कुछ मालूम होगा, तभी वो आतंकियों के पैरोकारों को चेतावनी देते हुए उन्हें देश के सामने एक्सपोज भी कर रहे है. फिर ऐसे में जो नेता डीजीपी के खुलासे के विरोध में बयानबाजी कर रहे वो अब खुद को संदेह के घेरे में खुद खड़े करते जा रहे हैं. कश्मीर से 370 हटाए जाने का विरोध करने वाली पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) की मुखिया महबूबा मुफ्ती की घबराहट साफ देखी जा सकती है, महबूबा मुफ्ती ने डीजीपी को बर्खास्त करने की मांग की है. जबकि महबूबा मुफ्ती को डीजीपी के साथ मिलकर कश्मीर से आतंकवाद को खत्म करने के लिए सहयोग देना चाहिए था. जहां एक ओर कश्मीर में आतंकी हमले हो रहे हैं, देश अपने बहादुर जवानों को खो रहा है वहां महबूबा मुफ्ती इसे राजनीति से जोड़कर देख रही है. डीजीपी के बयान का विरोध सज्जाद लोन जो नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता हैं वो भी कर रहे हैं. वहीं कुछ दिनों पहले ही श्रीनगर के सांसद रूहुल्लाह मेहदी का एक इंटरव्यू भी सामने आया था जिसमें वो कह रहे थे कि कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने पर वहां के निवासियों यानी की कश्मीरियों में गुस्सा भरा है जो कि भविष्य में कभी भी भड़क सकता है, औऱ वैसे ही हालात पैदा हो सकते हैं जैसे कि आजादी के 40 साल बाद यानी 90 के दशक में हुआ था। ये धमकियां और बयानबाजियां डीजीपी के खुलासे से कहीं हद तक मेल खाते नजर आते हैं.