Chhath Puja 2024: छठ महापर्व का आगाज आज से, नहाय-खाय के दिन जानें पूजा का समय और जरूरी नियम

Chhath Puja 2024 : आज 5 नवंबर को छठ का पहला दिन ‘नहाय-खाय’ है। इस दिन सूर्योदय सुबह 6 बजकर 39 मिनट पर होगा और सूर्यास्त शाम 5 बजकर 41 मिनट पर..

Chhath Puja 2024: छठ पूजा जिसे सूर्य उपासना के सबसे पवित्र पर्व के रूप में माना जाता है, आज से ‘नहाय-खाय’ के साथ शुरू हो रहा है। हर साल कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से इस चार दिवसीय महापर्व की शुरुआत होती है। यह पर्व बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड, और अन्य उत्तर भारतीय क्षेत्रों में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस पर्व का मुख्य उद्देश्य सूर्य देव और छठी मईया की आराधना करना है, जिससे घर-परिवार में सुख-समृद्धि और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।

नहाय-खाय: छठ पूजा का पहला दिन

आज छठ पर्व का पहला दिन है जिसे ‘नहाय-खाय’ के रूप में मनाया जाता है। इस दिन व्रत रखने वाली महिलाएं और पुरुष स्नान कर अपने घरों और आसपास की पूरी सफाई करते हैं। इसके बाद वे सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं। मान्यता है कि इस दिन से शुद्धता और पवित्रता के साथ व्रत की शुरुआत होती है, जो आगे की पूजा के लिए आवश्यक है।

पूजा का समय

आज 5 नवंबर को छठ का पहला दिन ‘नहाय-खाय’ है। इस दिन सूर्योदय सुबह 6 बजकर 39 मिनट पर होगा और सूर्यास्त शाम 5 बजकर 41 मिनट पर। इस दौरान व्रतधारी पूजा कर सकते हैं।

नहाय-खाय की पूजा विधि

स्नान और सफाई

 

इस दिन विशेष भोजन तैयार किया जाता है। भोजन में चने की दाल, कद्दू की सब्जी और चावल को प्रमुखता दी जाती है। इसे नए या पूरी तरह से साफ किए हुए बर्तनों में पकाया जाता है।

सात्विक भोजन

व्रती और उनके परिवारजन केवल सात्विक भोजन का सेवन करते हैं। इस भोजन में प्याज, लहसुन, और किसी भी तरह का मसाला नहीं डाला जाता है। माना जाता है कि इस पवित्र भोजन के सेवन से शरीर और मन दोनों की शुद्धि होती है।

सूर्य देव को अर्पण

नहाय-खाय के दिन सूर्य देव की पूजा की जाती है। व्रती सूर्य देव को जल अर्पित करते हैं और उनके प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हैं। इसके साथ ही व्रत का संकल्प लिया जाता है।

छठ पूजा का महत्व

छठ पूजा का संबंध सूर्य उपासना से है, जो ऊर्जा, स्वास्थ्य और सकारात्मकता का प्रतीक है। इस पर्व में छठी मईया, जो भगवान सूर्य की बहन मानी जाती हैं, की भी पूजा की जाती है। छठ पर्व में विशेष रूप से स्वच्छता और शुद्धता का ध्यान रखा जाता है। माना जाता है कि जो भी श्रद्धा और नियमपूर्वक इस व्रत को करता है, उसके परिवार में सुख-समृद्धि और स्वास्थ्य की बरसात होती है। इस दिन दान-पुण्य का भी विशेष महत्व है, और जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र, या अन्य उपयोगी वस्तुएं दान करने का रिवाज है।

छठ पूजा की चार दिन की प्रक्रिया

पहला दिन (नहाय-खाय) पवित्र स्नान और शुद्ध सात्विक भोजन के साथ व्रत की शुरुआत होती है। दूसरा दिन (खरना) उपवास का दिन, जिसमें शाम को विशेष प्रसाद तैयार कर ग्रहण किया जाता है। तीसरा दिन संध्या अर्घ्य का दिन, जिसमें डूबते सूर्य को अर्घ्य देकर प्रार्थना की जाती है।
चौथा दिन उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करने के साथ पर्व का समापन होता है।

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं पर आधारित है.JournalistIndia इन मान्यताओं की पुष्टि नहीं करता है. यहां पर दी गई किसी भी प्रकार की जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह अवश्य ले लें.

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