Ayodhya Ram Mandir New Rules | अयोध्या में अब राम भक्तों के माथे पर चंदन नहीं लगेगा. साथ ही राम भक्तों को चरणामृत देने पर भी पाबंदी लग गई है, राम मंदिर ट्रस्ट के इस फैसले के बाद भक्तों के साथ-साथ पुजारियों में भी मायूसी छा गई है, खबर है कि मंदिर ट्रस्ट ने गर्भगृह के पुजारियों को तत्काल प्रभाव से ऐसा करने से रोक दिया है. ऐसे में अब नए आदेश के अनुसार पुजारियों को मिलने वाली दान-दक्षिणा भी इस आदेश के बाद दानपेटी में रखी जाएगी. ट्रस्ट के इस फैसले के बाद मंदिर के पुजारियों में रोष है.
अयोध्या श्री राम दर्शन के लिए जाने वाले भक्तों में मायूसी
इस खबर के बाद अयोध्या जाने वाले भक्तों में मायूसी छा गई है, कोई भी भक्त जब भगवान के दर्शन करने जाता है तो वहां लगाए जाने वाला टीका और मिलने वाला प्रसाद पाकर भक्त को लगता है कि उसका भगवान से संवाद हो गया है औऱ दर्शन भी पूरे हो गए हैं, ऐसे में ट्रस्ट का ये फैसला कि श्री राम भक्तों को चंदन टीका औऱ चरणामृत न दिए जाने का भी विरोध शुरू होने लगा है.
आखिर क्यों लगाई गई रोक? ट्रस्ट ने क्यों लिया ऐसा फैसला ?
अयोध्या में श्री राम भक्तों को साधारण दर्शन कराने के लिए बैरिकेडिंग के साथ लाईन में लगाकर दर्शन कराए जाते हैं और वहीं दूसरा वीआइपी दर्शन के लिए भक्तों को नजदीक से श्री राम के दर्शन कराए जाते हैं. मंदिर में दर्शन के पश्चात पुजारियों द्वारा भक्तों के माथे पर चंदन लगा कर और चरणामृत देकर उन्हें वहां से बाहर भेजा जाता था लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. अब ऐसे में ट्रस्ट के इस निर्णय का विरोध भी शुरू हो गया है, अयोध्या के पुजारी कह रहे हैं कि अग ऐसा निर्णय है तो इसका पालन तो करना पड़ेगा लेकिन ऐसा निर्णय रामानंदी परंपरा के अनुसार गलत है. जबकि रामानंदी परंपरा के सभी मंदिरों में तिलक और चरणामृत की परंपरा रही है. जिसपर मंदिर प्रबंधन को एक बार फिर से सोचने की जरूरत है.
किसने दिए ऐसे आदेश?
मिडिया रिपोर्ट और मीडिया में चल रहे बयानों के अनुसार मंदिर के मुख्य अर्चक आचार्य सत्येंद्रदास का कहना है कि ट्रस्ट के सदस्य डा. अनिल मिश्र ने ऐसे आदेशों को लागू करने को कहा है जिसमें पुजारियों द्वारा श्री राम भक्तों को चंदन लगाने चरणामृत देने और दक्षिणा लेने से रोका गया है। साथ ही भक्त पुजारियों को जो भी दक्षिणा देते हैं अब भक्तों से उस दक्षिणा को दानपेटिका में डालने के लिए कहा गया है. और ट्रस्ट के इसी निर्णय से पुजारियों में रोष देखने को मिल रहा है.
कौन हैं ट्रस्ट के सदस्य डा. अनिल मिश्र जिन्होंने फैसला लागू करने को कहा ?
डॉ. अनिल मिश्र श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य हैं, डॉ. अनिल मिश्र को श्री राम के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में पहले यजमान के तौर पर बुलाया गया था, डॉ. अनिल मिश्र लबे समय से संघ से जुड़े हैं, डॉ. अनिल मिश्र यूपी के अंबेडकरनगर जिले के पतौना गांव के रहने वाले हैं औऱ उनका जन्म भी इसी स्थान पर हुआ है.
ट्रस्ट के इस फैसले पर क्या कहते हैं कथावाचक और ज्योतिषाचार्य राजपुरोहित मधुर जी
राजपुरोहित मधुर जी कहते हैं कि भक्त के तार तभी भगनवान के साथ पूरी तरह से जुड़ते हैं जब उसे मंदिर में प्रसाद मिले और टीका लगे, ऐसे में इस तरह का फैसला सनातनियों के साथ छलावा करने वाली जैसी बात हो जाएगी, और जिन सनातनियों के साथ अयोध्या जुड़ना चाहता है उनसे जुड़ने में उन्हें कठिनाई होगी. मंदिर ट्रस्ट को इस बारे में एक बार फिर से सोचने की जरूरत है.