Ahoi Ashtami पर गलती से भी न करें ये काम
सूर्योदय के बाद व्रत का संकल्प न लें
अहोई अष्टमी का व्रत सूर्योदय से पहले संकल्प लेकर शुरू किया जाता है। अगर आप सूर्योदय के बाद संकल्प लेते हैं तो व्रत अधूरा माना जाता है, जिससे पूजा का पूर्ण फल नहीं मिलता।
पूजा के दौरान अशुद्ध वस्त्र न पहनें
इस दिन स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना जरूरी है। पूजा के समय गंदे या बिना धुले वस्त्र नहीं पहनने चाहिए। शुद्धता बनाए रखने से ही पूजा का प्रभाव और फल बढ़ता है।
किसी का अपमान न करें
अहोई अष्टमी पर माताएं अपने बच्चों की दीर्घायु की कामना करती हैं, इसलिए इस दिन किसी का अपमान करने से बचें। खासतौर पर अपने बच्चों के प्रति कठोर शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए, क्योंकि इस दिन आपके व्यवहार का सीधा असर पूजा पर पड़ता है।
व्रत में दिन के समय न सोएं
अहोई अष्टमी के दिन व्रतधारी माताओं को दिन में सोने से बचना चाहिए। दिन में सोने से व्रत का प्रभाव कम हो सकता है और इससे पूजा का फल नहीं मिलता है।
निर्जला व्रत के दौरान पानी का सेवन न करें
अहोई अष्टमी पर माताएं निर्जला व्रत करती हैं, जिसका मतलब है कि इस दिन पानी भी नहीं पिया जाता। यदि गलती से भी पानी या भोजन का सेवन हो जाए तो व्रत का पुण्य कम हो सकता है।
सकारात्मक ऊर्जा बनाए रखने के उपाय
अहोई अष्टमी के दिन सकारात्मक ऊर्जा बनाए रखने के लिए घर में साफ-सफाई रखें और मन को शांत रखें। बच्चों के साथ दिन बिताएं और उनकी खुशहाली की कामना करें। माता अहोई की पूजा करने के बाद, उन्हें दूध, जल, और फल अर्पित करें।
समाप्ति और पारण का महत्व
अहोई अष्टमी का व्रत चंद्र दर्शन के बाद समाप्त होता है, और पारण करते समय सच्चे मन से माता अहोई का धन्यवाद करना चाहिए। व्रत समाप्त करने से पहले देवी की आरती करना न भूलें, जिससे आपको संपूर्ण फल की प्राप्ति हो। इस दिन पूजा-पाठ और व्रत की सच्ची भावना से पालन करने से बच्चों के जीवन में सुख-समृद्धि और लंबी उम्र का आशीर्वाद प्राप्त होता है।