Editor’s Pick : राजनेतागण चुनावी जीत के मद में इस मुख्य तथ्य को विस्मृत कर देते हैं कि उनको भविष्य में पुनः उसी जनता जनार्दन के समक्ष जाना होगा जिनके सहयोग से वर्तमान में उनकी नैया पार हुई है क्योंकि जनता ही उनके लिए भगवान सदृश होती हैं। जिस प्रकार मनुष्य के कर्मों का लेखा-जोखा ईश्वर के समक्ष प्रस्तुत होता है और तद्स्वरूप फल की प्राप्ति होती है। उसी प्रकार जनता अपने नेता को सुनने के पश्चात प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से उसकी समस्त गतिविधियों पर दृष्टि बनाए रखती है। उपरोक्त तथ्य की सत्यता को वर्ष 2024 के चुनावी परिणामों ने पूर्णतया स्पष्ट कर दिया है।
वर्ष 2024 के चुनावी परिणाम अत्यधिक अचम्भित करने वाले हैं। देश की अधिकांश जनता को इन अप्रत्याशित परिणामों की कदापि आशा नहीं थी। जहाँ एक ओर मोदी जी 400 से अधिक सीटों पर जीत की आशा कर रहे थे, वहीं उनको 250 सीटें भी प्राप्त नहीं हो पाईं और भाजपा बहुमत के लिए न्यूनतम संख्या अर्थात् 272 सीटों पर भी विजय प्राप्त नहीं कर पाईं, यह भी एक अत्यधिक अचम्भित करने वाला दृश्य है।
अब चिंतन का विषय यह है कि विगत 10 वर्षों के जनता के हित में किए गए मोदी जी के कार्यकलाप उन्हें पुनः अतीत सदृश आशातीत सफलता क्यों नहीं प्रदान कर पाए। चुनावी मोहरों के शतरंज की चाल के सदृश बदलने से अभी यह निश्चितः नहीं कहा जा सकता कि आगामी सरकार एनडीए अथवा इंडिया गठबंधन में से किसकी बनेगी। अब भारतीय राजनीति का नेतृत्व कौन करेगा, कौन किस गठबंधन में रहेगा, कौन किस गठबंधन को छोड़ेगा यह वर्तमान परिस्थिति को देखते हुए निश्चितः नहीं कहा जा सकता क्योंकि अभी वर्तमान राजनीति में अत्यधिक उठा-पठक होने की सम्भावनाएँ है।
मोदी जी को सबसे अधिक आहत उत्तर प्रदेश ने किया, क्योंकि उन्हें यहाँ से 70 सीटें प्राप्त करने की अत्यधिक आशा थी, परन्तु परिणाम विपरीत प्राप्त हुए, वे 31 के आंकड़े तक ही पहुँच पाए। उत्तर प्रदेश की डबल इंजन अर्थात् केन्द्र तथा राज्य दोनों की संयुक्त शक्ति से युक्त भाजपा सरकार जनता का विश्वास क्यों नहीं जीत पाई, इस प्रश्न पर भाजपा नेतृत्व को गहन मंथन करने की अति आवश्यकता है। चुनावी प्रक्रिया के अन्तराल में इंडिया गठबंधन ने जिस प्रकार से जनता को अपनी ओर आकर्षित किया, उससे सिद्ध होता है कि प्रदेश सरकार ने जनता के हित में जो कार्य किए हैं, वे या तो जनता के समक्ष नहीं पहुँचे हैं अथवा उन्हें जनता के समक्ष पहुँचने नहीं दिया गया है क्योंकि जब कोई भी सरकार श्रेष्ठ कार्य करती है तो जनता अवश्य ही उसकी प्रशंसा करती है। परन्तु उत्तर प्रदेश की जनता में भाजपा के प्रति इतनी अधिक निराशा क्यों उत्पन्न हुई, इस प्रश्न का उत्तर जनता के मध्य पहुँचकर ही समझना होगा और उसका दर्द समझना होगा। इन चुनावी परिणामों से यह भी निष्कर्ष निकलता है कि अधिकांश भाजपा उम्मीदवारों को यह आशा थी कि बिना जनता का विश्वास जीते और जनता के कार्य किए बिना भी मोदी जी और योगी जी उनकी नैया को पार लगा देंगे। परन्तु विपरीत परिणाम प्राप्त हुए और विश्व की सर्वाधिक वृहद पार्टी भाजपा अपने ही सशक्त केन्द्र अर्थात् उत्तर प्रदेश में आशातीत सफलता को प्राप्त नहीं कर सकी, भाजपा के प्रशंसकों को यह दुख सदैव के लिए त्रस्त करता रहेगा।
वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव के परिणामों से राजनेताओं को ये भी सीख लेनी चाहिए कि विन्रमता ही मनुष्य का सर्वश्रेष्ठ गुण होता है। घंमड प्रपंच और बनावटीपन जनता को अत्यधिक समय तक भ्रम में नहीं रख सकता, क्योंकि जनता ईश्वर के सदृश प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से अपने नेताओ की गतिविधियों का आंकलन करती रहती है और उसी के सदृश चुनावों में अपनी प्रतिक्रिया को व्यक्त करती है। भ्रष्टाचारी नेताओं को जनता कभी क्षमा नहीं करती, यही लोकतंत्र की मूल भावना है।
योगेश मोहन
(वरिष्ठ पत्रकार, कुलाधिपति, IIMT यूनिवर्सिटी )