1996 में कांग्रेस को मिला था श्राप, जिसका खामियाजा भुगत रहे हैं सोनिया-राहुल

नई दिल्ली: कांग्रेस पार्टी की इस हालत और दुर्गति के पीछे पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेई का वह श्राप मन जाता है, जब साल 1997 में अटल की सरकार संसद में मात्र एक वोट से गिर गयी थी. अपने उसूलों और अपनी छवि के कारन वाजपेई ने उस दौरान जोड़तोड़ नहीं की. जिसको लेकर कांग्रेस ने अटल का मजाक उड़ाकर उन्हें सरकार न चला पाने वाले दल का नेता बता दिया था.
राजनीति में बाजी पलटते देर नहीं लगती है, साथ ही यहाँ न कोई स्थाई दुशमन होता है न ही दोस्त. समय के अनुसार सबकुछ बदल जाता है. कांग्रेस ने अटल का एक समय उपहास कर उन्हें सरकार न चला पाने वाला नेता कहा था, अटल की सरकार मात्र 1 सदस्य न होने के कारण 13 दिन में ही गिर गयी थी.
राजनीति में संख्या बल का आंकड़ा सर्वोपरि होने से 1996 में उनकी सरकार सिर्फ एक मत से गिर गई और उन्हें प्रधानमंत्री से इस्तीफा देना पड़ा 1996 में जब उनकी सरकार बहुमत हासिल करने में नाकाम रही तो वाजपेयी ने एक जोरदार भाषण दिया इस भाषण के बाद वह राष्ट्रपति को अपने इस्तीफा सौंपने चले गए थे. इस्तीफा देने से पहले उन्होंने कांग्रेस सदस्यों के खुद पर हंसने को लेकर श्राप दिया था. आज वही श्राप कांग्रेस को डुबो रहा है.
किसी का उपहास करना बहुत ही गलत होता है. कभी कभार बिलखते मन से कुछ ऐसे शब्द निकल जाते हैं जो सच साबित होते हैं. उस दौर में कांग्रेस का भी ऐसा ही समय था, पूर्व से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण तक कांग्रेस फैली हुई थी, लेकिन आज हालत यह है की कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर भी अपना अस्थित्व खो रही है. कई राज्यों में पार्टी नेताओं द्वारा जीतोड़ मेहनत के बाद भी उसे सत्ता की चाबी हाथ नहीं लग रही है. जिनमे गोवा, मणिपुर ,गुजरात शामिल हैं.
गोवा मणिपुर और हाल ही में हुए तीन राज्यों के चुनाव मेघालय में सबसे बड़ी पार्टी बनने के बाद भी उसे सत्ता नसीब नहीं हुई है. जिसका जीता जागता परिणाम मेघालय है. यहाँ 60 सदसीय विधानसभा में कांग्रेस के पास 21 सीटें होने के बाद भी 2 सीट पाने वाली बीजेपी गठबन्धन में सरकार बना रही है.